भारतीय रेलवे ट्रेनों के लिए अपना पहला डेडिकेटेड हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक बना रहा है। इसके वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इस प्रोजेक्ट को भारतीय रेलवे की रिसर्च संस्था रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन (RDSO) 967 करोड़ रुपये की लागत से डेवलप कर रही है।

यह टेस्ट ट्रैक जयपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर, जोधपुर डिवीजन के नावा इलाके में गुढ़ा और थथाना मिठरी के बीच बनाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे (NWR) के एडमिनिस्ट्रेटिव अधिकार क्षेत्र में आता है।

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भारत में हाई स्पीड रेलवे टेस्टिंग ट्रैक

जनसत्ता की सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे (NWR) के चीफ पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर (CPRO) शशि किरण ने इस डेवलपमेंट को कन्फर्म किया। उन्होंने कहा कि रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन (RDSO) डेडिकेटेड हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक पर रोलिंग स्टॉक की पूरी टेस्टिंग करेगा। किरण ने बताया कि कुल 64 किमी लंबे प्रोजेक्ट में से लगभग 58 km पहले ही पूरा हो चुका है और पूरे प्रोजेक्ट को मार्च 2026 तक पूरा करने का टारगेट है।

CPRO के अनुसार, ‘इंडियन रेलवे रोलिंग स्टॉक की पूरी टेस्टिंग के लिए देश का पहला RDSO (रिसर्च डिजाइन्स एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन) डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक बना रहा है। यह 64 किमी का ट्रैक नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के जोधपुर डिवीजन में गुढ़ा और थथाना मिठरी के बीच 967 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। अभी प्रोजेक्ट का लगभग 58 किलोमीटर पूरा हो चुका है। पूरे प्रोजेक्ट को मार्च 2026 तक पूरा करने का टारगेट है।’

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हाई स्पीड ट्रेन टेस्टिंग ट्रैक

किरण ने आगे बताया कि डेडिकेटेड हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक को 220kmph की मैक्सिमम स्पीड को सपोर्ट करने के लिए डेवलप किया जा रहा है।

राजस्थान में रेलवे प्रोजेक्ट्स (Railway Projects in Rajasthan)

जनसत्ता की सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को 25 किमी लंबे उमरा-देबारी रेलवे सेक्शन के डबलिंग को मंज़ूरी दी, जिसकी अनुमानित लागत 492 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट का मकसद राजस्थान के एक बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन उदयपुर तक रेल कनेक्टिविटी को बेहतर और मजबूत बनाना है।

डबलिंग पूरी होने के बाद, उदयपुर और उसके आस-पास तेजी से ट्रेन चल पाएगी और अहमदाबाद और जयपुर जैसे खास शहरों से कनेक्टिविटी बेहतर होगी।