वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि कारपोरेट कर को घटा कर 25 फीसद पर लाने की शुरुआत अगले बजट से की जा सकती है। इससे पहले अगले कुछ दिनों में उन कर रियायतों की सूची पेश की जाएगी, जिन्हें धीरे-धीरे समाप्त किया जाना है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कर संबंधी कई मुद्दों को सुलझाने में कामयाब रही और उन्होंने भरोसा जताया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जल्दी ही अमल में आएगा।

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) द्वारा आयोजित ‘नेशनल स्ट्रेटेजी डे आॅन इंडिया’ के परिचर्चा सत्र में जेटली ने कहा कि वृद्धि के संकेत दिखने लगे हैं। उन्होंने विधायी सुधारों को आगे बढ़ाने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि दिवालियापन कानून लाने के साथ साथ विशिष्ट राहत कानून में बदलाव किया जाएगा।

उन्होंने कहा ‘मैंने प्रत्यक्ष कराधान के खाके की घोषणा की है ताकि उन रियायतों को धीरे-धीरे खत्म करते हुए कारपोरेट कर को घटा कर 25 फीसद पर लाया जा सके। हम अगले कुछ दिनों में उन कुछ रियायतों को सार्वजनिक करेंगे, जिन्हें हम पहले दौर में खत्म करना चाहते हैं।’

वित्त मंत्री ने कहा ‘कारपोरेट कर कटौती का पहला चरण…… मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में होगा, जब नया वित्त विधेयक आएगा।’

जेटली ने फरवरी में अपने पिछले बजट में घोषणा की थी कि सरकार अगले चार साल में कारपोरेट कर की दर को 30 फीसद से घट कर 25 प्रतिशत करना चाहती है। वित्त मंत्री फरवरी 2016 में अगला आम बजट पेश करेंगे।

जेटली ने यह भी कहा कि सरकार पिछली तिथि से लगाए गए कर से जुड़े मुद्दों सहित पिछली सरकार से विरासत में मिले कई मुद्दों का समाधान करने में कामयाब रही है। हालांकि, दो-तीन समस्याएं अभी बचीं हैं।

जेटली ने कहा ‘व्यवस्थित तरीके से हम एक-एक कर कराधान के मामलों को सुलझाते रहे हैं…….जिससे पिछली तारीख से कर लगाने का डर खत्म हो गया है। इनमें से दो-तीन समस्याएं अभी बची हैं और वे कानूनी वजहों के कारण हैं। मैंने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की है कि हम ऐसी प्रक्रियाओं पर विचार कर रहे हैं जिसके जरिए इनमें से कुछ का समाधान किया जा सके।’

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर जेटली ने कहा ‘यह सिर्फ समय की बात है क्योंकि इसे रोकने का हंगामा अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता। मुझे लगता है कि जब भी इस पर मतदान होगा, यह पारित होकर वास्तविकता बन जाएगा।’

उन्होंने कहा ‘मैं कांग्रेस पार्टी के साथ इस पर चर्चा करने को तैयार हूं…..अब तक मैंने उनके नेताओं से जो बात की है मुझे नहीं लगता कि कम से कम अवधारणा स्तर पर इसका कोई विरोध है। मैं उनसे एक बार फिर बात करूंगा और उन्हें बात समझाने की कोशिश करूंगा।’

उन्होंने, हालांकि, कहा ‘मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसने नीतिगत मामले में रंग बदला है और यह खेदजनक है कि ऐसा उन लोगों ने किया, जिन्होंने जीएसटी विधेयक को आगे बढ़ाया था। यह पैंतरेबाजी किसी नीतिगत वजह से नहीं थी बल्कि राजनीतिक वजह से की गई क्योंकि इसके पीछे हंगामा कर रास्ता रोकने की नीति थी।’

वित्त मंत्री जीएसटी विधेयक पास करने के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यसभा का समीकरण आने वाले महीनों में बदलेगा और सरकार के लिए काम करना आसान होगा। जेटली का मानना है कि लोकमत आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के पक्ष में और इसमें अड़ंगा डालने वालों के खिलाफ है। उन्होंने कहा ‘अस्थायी तौर पर वे कुछ पहलों को रोकने में कामयाब हो सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि दिशा तय हो जाने पर इस बदलाव के लिए गतिविधियां आगे चलती रहेंगी।’

उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेशकों ने भारत में ऐसे समय में रुचि दिखाई जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा ‘हमने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दिशा तय की है। हर पहल के साथ निरंतर हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे किसी नीतिगत बदलाव को मंजूरी नहीं देंगे जो इसके विपरीत दिशा में हो। मुझे लगता है कि भारत बेहद आकांक्षाओं वाला देश बन गया है।’

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