वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कंपनियों को अगले चार साल में 2 लाख करोड़ रुपए का ‘तोहफा’ देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि राजग सरकार का पहला पूर्ण बजट राजकोषीय और समानता की कसौटी पर खरा उतरने में विफल रहा।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने ‘हेडलाइन्स टुडे’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘बजट भारतीय कंपनियों के पक्ष में है, आप इस उद्योग जगत के तोहफे की लागत जानते हैं, पहले साल में 20,000 करोड़ रुपए, दूसरे साल 40,000 करोड़ रुपए, तीसरे साल 60,000 करोड़ रुपए तथा चौथे साल में 80,000 करोड़ रुपए है।’’
उल्लेखनीय है कि दस साल के बाद सरकार ने कंपनी कर को अप्रैल 2016 से अगले चार साल में 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव किया लेकिन ऐसा करते हुये उद्योगों को दी जाने वाली छूट और प्रोत्साहनों को वापस ले लिया जायेगा।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘‘कंपनियां आज 23 प्रतिशत कर दे रही हैं, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह कहा है। यह दर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में जो कंपनी कर दर है, उस लिहाज से प्रतिस्पर्धी है। तब 23 प्रतिशत प्रभावी कंपनी दर खराब क्यों है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनियों को अगले चार साल में 2 लाख करोड़ रुपए का यह तोहफा उनके लिये वेतन, लाभांश के रूप में आय में परिवर्तित होगा।’’
चिदंबरम ने यह भी कहा कि बजट राजकोषीय और समानता की कसौटी और बढ़ती असमानता के मामले में विफल रहा है।
इस बीच, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि 2015-16 के बजट प्रस्तावों को उद्योगों के पक्ष में बताकर आलोचना करना पूरी तरह से गलत और निराधार है। उन्होंने कहा कि कंपनी कर को चार साल में 30 से घटाकर 25 प्रतिशत करने से कोई राजस्व नुकसान नहीं होगा।