अपनी तेल रिफाइनरी रूस की रोजनेफ्ट व भागीदारों को बेचने का सौदा करने वाले एस्सार समूह ने कहा है कि वह तेल व गैस के कारोबार से हट नहीं रहा है इस बिक्री से उसकी अंशधारक कंपनी के कर्ज को कम करने में मदद मिलेगी। एस्सार ने शनिवार को एक सौदा किए जिसके तहत वह वाडिनार (गुजरात)रिफाइनरी, इसके पास स्थित बंदरगाह व 2700 से अधिक पेट्रोल पंपों में 49 फीसद हिस्सेदारी दुनिया की सबसे बड़ी सूचीबद्ध तेल कंपनी को बेचेगी। वहीं नीदरलैंड की ट्रेफिगुरा ग्रुप व रूसी निवेश कोष यूनाइटेड कैपिटल पार्टनर्स के पास बाकी 49 फीसद इक्विटी होगी।एस्सार ग्रुप के निदेशक प्रशांत रुइया ने इंटरव्यू में कहा-हम हिस्सेदारी बिक्री से मिलने वाले धन का इस्तेमाल समूह का कर्ज कम करने में करेंगे और इससे हमारे अन्य कारोबारों में वृद्धि व रणनीतिक मजबूती का मार्ग प्रशस्त होगा। इस सौदे से एस्सार अपने 88,000 करोड़ के कर्ज में से आधे को चुका सकेगी और उसकी ब्याज लागत घटेगी। उन्होंने कहा कि बाकी कर्ज कंपनी की आस्तियों व ‘सामान्य परिचालन कंपनी’ कर्ज बना रहेगा। हमारा मानना है कि अंशधारक कंपनी के स्तर पर ज्यादातर कर्ज उतर जाएगा।


प्रशांत रुइया ने कहा- यह भारत के निगमित इतिहास में अपनी तरह की सबसे बड़ी कर्ज कटौती है। इस सौदे से एस्सार के तेल उपक्रम का मूल्य 72,800 करोड़ रुपए आंका गया है। वहीं 13,000 करोड़ रुपए वाडिनार बंदरगाह के लिए दिए जाएंगे। उन्होंने कहा- यह भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) है।
रुइया ने कहा कि एस्सार तेल व गैस कारोबार से निकल नहीं रही है बल्कि स्टेनलॉ (ब्रिटेन) में 1.2 करोड़ टन की रिफाइनरी का परिचालन व स्वामित्व उसके पास ही रहेगा। इस कंपनी की ब्रिटेन के बाजार में 12-13 फीसद हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि एस्सार आयल की उत्खनन व उत्पादन आस्तियां भी इस सौदे का हिस्सा नहीं है। इन आस्तियों के तहत पश्चिम बंगाल में कोल बेड मिथेन (सीबीएम) ब्लाक में उत्पादन किया जा रहा है। रुइया ने कहा- समूह के रूप में हमारा दर्शनशास्त्र यही रहा है कि बुनियादी ढांचे में महत्त्वपूर्ण निवेश करें, कारोबार को बढाएं और इसे विश्वस्तरीय बनाएं और उचित समय पर मौद्रीकरण कर लें।
उल्लेखनीय है कि एस्सार ने दूरसंचार कंपनी हचिसन एस्सार में अपनी हिस्सेदारी 2011 में वोडाफोन को 18 अरब डॉलर में बेची थी।