फाइनेंस मिनिस्ट्री ने EPFO से कहा है कि जब तक मंत्रालय मंजूरी न दे, तब तक ब्याज दर सार्वजनिक न करें। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) को मंत्रालय की पूर्व मंजूरी के बिना वित्तीय वर्ष 2023-24 से शुरू होने वाली ब्याज दर की सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं करने के लिए कहा गया है।

यह फैसला वित्त मंत्रालय द्वारा जुलाई की शुरुआत में श्रम मंत्रालय को एक पत्र में ईपीएफओ के मुद्दे को सामने लाने के बाद आया है। दरअसल, 6 करोड़ ग्राहकों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन योजना का प्रबंधन करने वाला ईपीएफ़ओ 197.72 करोड़ रुपये के घाटे में चला गया है। वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में इसका सरप्लस 449.34 करोड़ रुपये था।

वित्त मंत्रालय ने EPFO को दिया सुझाव

इसे ब्याज दर घोषणा तंत्र में हस्तक्षेप करने और संशोधित करने के एक कारण के रूप में बताया गया था। घाटे के बारे में बताते हुए वित्त मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया कि उच्च ईपीएफ ब्याज दरों पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ की उच्च दर पर सवाल उठाया है और इसे घटाकर 8 प्रतिशत से कम करने के लिए कहा है। वर्तमान में, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (8.2 प्रतिशत) के लिए ब्याज दर को छोड़कर अन्य सभी छोटी बचत योजनाओं पर ईपीएफओ की ब्याज दर घोषित ब्याज दर से कम है।

2016 में श्रम मंत्रालय द्वारा 8.80 प्रतिशत ब्याज दर की घोषणा के बाद, वित्त मंत्रालय ने 2015-16 के लिए 8.70 प्रतिशत की कम ईपीएफ दर को मंजूरी दी। ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद वित्त मंत्रालय 2015-16 के लिए 8.8 प्रतिशत ब्याज दर पर वापस लौट आया। हालांकि, इस बार प्रक्रिया में ही भारी बदलाव किया जा रहा है।

ईपीएफ़ओ ने 2022-23 के लिए की 8.15% ब्याज दर की सिफारिश

इस साल मार्च में ईपीएफओ के सीबीटी ने 2022-23 के लिए 8.15 प्रतिशत की ब्याज दर की सिफारिश की, जो पिछले वर्ष के 8.1 प्रतिशत से मामूली अधिक है। 2022-23 के लिए ईपीएफ ब्याज दर में बढ़ोतरी रिटायरमेंट फंड बॉडी के 2021-22 के घाटे में जाने के बावजूद हुई थी। सीबीटी बैठक के बाद मार्च में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2013 के लिए 8.15 प्रतिशत भुगतान के बाद ईपीएफ के पास 663.91 करोड़ रुपये का सरप्लस बचे होने का अनुमान है।

श्रम और रोजगार सचिव आरती आहूजा द्वारा 3 जुलाई को आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ को लिखे पत्र में 2022-23 के लिए ब्याज दर प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय को भेजा गया था। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सदस्यों के खातों को अपडेट करने के लिए कुल 90,695.29 करोड़ रुपये वितरण के लिए उपलब्ध थे। वहीं, वर्ष 2021-22 के लिए 197.72 करोड़ रुपये के घाटे को कम करने के बाद, 2022-23 के लिए 90,497.57 करोड़ रुपये की नेट इनकम डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उपलब्ध थी।

197.72 करोड़ रुपये का घाटा

दस दिन बाद 13 जुलाई को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने ब्याज दर को मंजूरी दे दी। वित्त मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ब्याज दर 8.1% की सिफारिश करते समय ईपीएफओ ने 449.34 करोड़ रुपये के सरप्लस का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तव में 197.72 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

वित्त मंत्रालय ने घाटे का भी जिक्र किया और कहा, “ईपीएफओ को सलाह दी जाती है कि भविष्य में सीबीटी की ब्याज दर की सिफारिशों को वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही सार्वजनिक किया जा सकता है। इसलिए ईपीएफओ से अनुरोध है कि वह वित्त मंत्रालय द्वारा निर्देशित मार्गदर्शन का पालन करें जिसे माननीय वित्त मंत्री की मंजूरी प्राप्त है। यह माननीय श्रम एवं रोजगार मंत्री के अप्रूवल से जारी किया गया है।”

मानदंडों के अनुसार, ईपीएफओ का बोर्ड ब्याज दर की सिफारिश करने के लिए मध्य वर्ष (पहले नवंबर और हाल के वर्षों में फरवरी/मार्च) के बाद एक बैठक आयोजित करता है, उसके बाद रेट घोषित किया जाता है। बोर्ड की सिफारिश वित्त मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजी जाती है।