नौकरीपेशा शख्स के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की रकम काफी अहमियत रखती है। इस रकम के जरिए बहुत लोग अपने भविष्य को सिक्योर कर लेते हैं। कुछ लोग ईपीएफ की रकम में कंट्रीब्यूशन बढ़ाकर एक बड़ा अमाउंट इकट्टा कर लेते हैं/।
क्या है नियम: दरअसल, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नियमों के तहत हर कर्मचारी को यह छूट मिलती है कि वे अपनी कंपनी से रिक्वेस्ट कर पीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़वा सकते हैं। नियम के मुताबिक अगर कर्मचारी चाहे तो अपने योगदान को हर महीने बेसिक सैलरी के 100 फीसदी तक बढ़वा सकता है। हालांकि, आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का कंट्रीब्युशन न हो जाए। असल में सरकार ने इस साल के आम बजट में 2.5 लाख रुपये से ऊपर के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगा दिया है।
कर्मचारी का कंट्रीब्यूशन कितना है: किसी भी कर्मचारी के मूल वेतन और डीए को मिलाकर जो कुल राशि बनती है, उसका 12 प्रतिशत योगदान कर्मचारी करता है। अगर आप पीएफ की रकम में कंट्रीब्यूशन 12 से बढ़ाकर 24 फीसदी करते हैं तो पीएफ फंड भी दोगुना हो जाएगा। इस रकम पर मिलने वाला ब्याज भी बढ़ जाएगा।
पीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर कम्पाउंडिंग का लाभ मिलता है। हर साल ब्याज पर ब्याज का फायदा भी मिलेगा। इस तरह रिटायरमेंट के वक्त आपके पीएफ अकाउंट में एक मोटी रकम जुट जाएगी। (ये पढ़ें—आपके PF अकाउंट पर घर बैठे अब मिल रही ये सुविधा, आसान स्टेप्स को करें फॉलो)
कंपनी का कितना है कंट्रीब्यूशन: कंपनी की ओर से भी 12 फीसदी का पीएफ कंट्रीब्यूशन किया जाता है। किसी भी कंपनी या नियोक्ता के हिस्से के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी या 1250 रुपये, जो भी कम हो, का योगदान कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में होता है। वहीं, शेष 3.67 फीसदी रकम का योगदान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में होता है। इसके उलट, कर्मचारी के हिस्से का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ यानी आपके पीएफ फंड में जाता है।
कितनी है ब्याज दर: वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पीएफ की रकम पर ब्याज दर 8.50 फीसदी रखी गई है। इससे एक साल पहले भी ब्याज की दर यही रखी गई थी। यह सात साल की सबसे कम ब्याज दर है।