केंद्र सरकार महात्मा गांधी नेशनल रूरल गारंटी एक्ट में बदलाव की तैयारी में है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने स्कीम के तहत रोजगार के दिनों को 100 से 125 दिन करने और स्कीम का नाम बदलकर पूज्य बापू रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट करने के प्रपोजल पर चर्चा की है।

हालांकि, कानून में 100 दिनों की नौकरी की गारंटी थी, लेकिन 2024-25 में स्कीम के तहत हर परिवार को मिलने वाले रोजगार के औसत दिन सिर्फ लगभग 50 दिन थे। असल में, पिछले साल 100 दिन पूरे करने वाले परिवारों की संख्या 40.70 लाख थी। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में, सिर्फ 6.74 लाख परिवार ही 100 दिन की लिमिट तक पहुंच पाए हैं।

यह प्रस्ताव 16वें फाइनेंस कमीशन अवॉर्ड्स में स्कीम को जारी रखने के लिए सरकार द्वारा पहले ही शुरू की गई मंजूरी प्रक्रिया के बाद आया है, जो 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा।

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2022 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक कमेटी (जो MNREGS को चलाती है) को राज्यों के परफॉर्मेंस और स्कीम के गवर्नेंस से जुड़े मुद्दों की स्टडी करने का काम सौंपा गया था। पिछले वर्ष कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जमा की थी।

NREGA 2005 में लागू हुआ था और उस समय की UPA सरकार ने 2 अक्टूबर, 2009 से इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक, NDA सरकार को इसका नाम बदलने और काम के गारंटी वाले दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 करने के लिए कानून में बदलाव करना होगा।

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कई राज्य 100 दिन के काम की लिमिट बढ़ाने की मांग कर रहे थे मांग

पहले आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कई राज्य MGNREGA वर्कर्स से 100 दिन के काम की लिमिट बढ़ाने की मांग करते रहे हैं। राज्य 100 दिनों से ज्यादा काम दे सकते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए खुद पैसे देने पड़ते हैं और बहुत कम राज्य ऐसा करते हैं।

पिछले फाइनेंशियल ईयर (2024-25) में बने 290 करोड़ पर्सन-डे में से सिर्फ 4.35 करोड़ पर्सन-डे ही राज्यों ने अपने बजट से बनाए। अपने रिसोर्स से काम देने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं।

MGNREGA के तहत हर ग्रामीण परिवार एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 100 दिनों का मजदूरी वाला काम पाने का हकदार है।

MGNREG एक्ट का सेक्शन 3 (1) एक फाइनेंशियल ईयर में हर ग्रामीण परिवार को “सौ दिनों से कम नहीं” काम देने का नियम बनाता है। लेकिन यह असल में ऊपरी लिमिट बन गई है क्योंकि NREGA सॉफ्टवेयर एक साल में किसी परिवार को 100 दिनों से ज़्यादा के काम के लिए डेटा एंट्री की इजाज़त नहीं देता, जब तक कि राज्य/UT खास तौर पर रिक्वेस्ट न करे।

लेकिन, सरकार तय 100 दिनों के अलावा 50 दिन और काम करने की इजाज़त देती है। उदाहरण के लिए, जंगल वाले इलाके में हर अनुसूचित जनजाति का परिवार NREGS के तहत 150 दिन काम पाने का हकदार है, बशर्ते ऐसे परिवारों के पास फॉरेस्ट राइट एक्ट, 2016 के तहत मिले जमीन के अधिकारों के अलावा कोई और प्राइवेट प्रॉपर्टी न हो।

इसके अलावा, सरकार, MGNREGA के सेक्शन 3(4) के तहत, ऐसे ग्रामीण इलाकों में, जहां सूखा या कोई प्राकृतिक आपदा (गृह मंत्रालय के अनुसार) नोटिफाई की गई हो, 100 दिन के अलावा, एक साल में 50 दिन का बिना स्किल वाला हाथ का काम भी दे सकती है।

MNREGA के तहत अब तक इतने रुपये हुए खर्च

2005 में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, MNREGA ने 4,872.16 करोड़ पर्सन-डे (मतलब कुल मिलाकर 48.72 बिलियन से ज्यादा दिनों का काम) बनाए हैं और इस स्कीम के तहत कुल 11,74,692.69 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।