कुछ दिन पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा था कि चुनाव आयोग इंटरनेट और मोबाइल के जरिए वोटिंग पर विचार कर रहा है। लेकिन यह विचार इतना भी ज्यादा लंबा नहीं चलना चाहिए। आज इंटरनेट और मोबाइल का जमाना है और लोग अपने अनेक काम इनके जरिए ही करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें इंटरनेट और मोबाइल के जरिए वोट देने से वंचित दूर रखा जाए, ठीक नहीं है।

आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में ऐसे लाखों लोग हैं जो सिर्फ इसलिए वोट नहीं दे पाते कि जहां वोट डालना है, उस जगह तक जाकर, लाइन में खड़े रहना उनके लिए संभव नहीं हो पाता।

ये ऐसे लोग हैं जो देश को आगे बढ़ाने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। जब युवा वर्ग ‘आनलाइन’ खरीददारी को तरजीह दे रहा है तो उसे वोटिंग का आनलाइन वोटिंग का विकल्प भी मिलना चाहिए।

आखिर क्या वजह है कि मोबाइल कंपनियों से लेकर सामान बेचने वाली कंपनियां तक मोबाइल और इंटरनेट के जरिए करोड़ों लोगों को घर बैठे सारी सुविधाएं दे रही हैं लेकिन वोट डालने की सुविधा उन्हें अभी तक नहीं मिली? मतदाता पहचानपत्र को आधार कार्ड और मोबाइल से जोड़कर नागरिकों को शीघ्र ही आनलाइन वोटिंग की सुविधा दी जाए।

ऐसा करने से फर्जी मतदान की समस्या तो समाप्त होगी ही, इस एक तीर से कई निशाने साधे जा सकेंगे।

 

मोहन सूर्यवंशी, नई दिल्ली

 

फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/Jansatta

ट्विटर पेज पर फॉलो करने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/Jansatta