कोरोना और लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि अनुमान इससे भी ज्यादा गिरावट का था। ऐसे में संकेत है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट सकती है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से गिरावट रिपोर्ट हुई। उम्मीद जताई जदा रही है कि आने वाले समय में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। कोरोना वायरस महामारी फैलने से रोकने के लिए लागू सख्त सार्वजनिक पाबंदियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी। कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ लगाया जाना था जिससे आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गईं। जून से ‘लॉकडाउन’ से छूट दिए जाने के बाद से अर्थव्यवस्था में तेजी देखी जा रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि इससे पूर्व तिमाही में इसमें 39 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर बना हुआ है और इसमें दूसरी तिमाही में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं व्यापार और सेवा क्षेत्र में 15.6 प्रतिशत की गिरावट आई जो अनुमानों की तुलना में कम है। सार्वजनिक व्यय में इस दौरान 12 प्रतिशत की कमी आई। गौरतलब है कि चीन की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.9 प्रतिशत रही। वहीं अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। हालांकि जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरावट के साथ भारत तकनीकी रूप से मंदी में आ गया है लेकिन अनुमान के विपरीत बेहतर सुधार से चालू वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले अर्थव्यवस्था के बेहतर स्थिति में आने की उम्मीद है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत में उम्मीद से कहीं तेजी से सुधार हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी सतर्क रहने की भी जरूरत है क्योंकि अभी कहा नहीं जा सकता है कि कितने समय बाद अर्थव्यवस्था पॉजिटिव होगी। (भाषा से इनपुट्स के साथ)