केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करेंगी। वहीं बजट से पहले वित्त मंत्रालय संसद में एक और महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश करता है जिसे आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) कहा जाता है। इसे वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया है। आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 से लेकर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। बता दें कि आर्थिक सर्वे में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से रोजगार पर पड़ने वाले असर को लेकर चेताया गया है। संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वे पेश होगा। लोकसभा में दोपहर 12 बजे जबकि राज्यसभा में 2 बजे आर्थिक सर्वे पेश होगा। सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) द्वारा जारी किया जाता है और वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किया जाता है। यह हमेशा केंद्रीय बजट से एक दिन पहले यानी आमतौर पर 31 जनवरी को पेश किया जाता है।
क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे?
इकोनॉमिक सर्वे वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति की एक रिपोर्ट है। आमतौर पर यह पिछले वित्त वर्ष का लेखा जोखा होता है। यह दस्तावेज़ केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों का भी जिक्र करता है । यह पिछले वर्ष के लिए दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। इकोनॉमिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद वित्त वर्ष 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत (राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार) दशकीय औसत के करीब बनी हुई है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2024 में 5.4% से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई है।
अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान व्यापारिक निर्यात में मध्यम वृद्धि, मुख्य रूप से पेट्रोलियम निर्यात के मूल्य में गिरावट के कारण जो अंतरराष्टीय तेल की कीमतों में गिरावट से प्रेरित है।
मुद्रास्फीति के प्रभाव के बावजूद व्यापारिक आयात में वृद्धि घरेलू खपत में उछल को दिखाती है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-'25 में कहा गया है कि चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों में सर्विस सेक्टर के निर्यात में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत प्रदर्शन हुआ है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया है। आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 से लेकर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। बता दें कि आर्थिक सर्वे में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से रोजगार पर पड़ने वाले असर को लेकर चेताया गया है।
समीक्षा चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के आकलन के साथ देश के समक्ष चुनौतियों को बयां करती है। आर्थिक समीक्षा एक वार्षिक दस्तावेज है जिसे सरकार केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए पेश करती है। यह सुधारों और विकास का खाका भी प्रदान करती है।
यह अगले वित्त वर्ष के लिए दृष्टिकोण प्रदान करने के अलावा अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की रूपरेखा को बयां करती है। आर्थिक समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग का आर्थिक प्रकोष्ठ तैयार करता है। पहली आर्थिक समीक्षा 1950-51 में पेश की गयी थी। उस समय यह बजट दस्तावेज का हिस्सा होती थी। इसे 1960 के दशक में केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया और बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा। वित्त मंत्री सीतारमण शनिवार को 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2024-25 को लोकसभा में पेश किया। सदन में वह सरकार का लेखा जोखा रख रही हैं।
पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक हिस्से के रूप में पेश किया गया था। हालांकि 1964 में इकोनॉमिक सर्वे को बजट से अलग कर दिया गया था। तब से बजट पेश होने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे जारी करने की प्रथा बन गई है।
केंद्रीय बजट केंद्र सरकार का एक वार्षिक वित्तीय विवरण है जो आगामी वित्तीय वर्ष (FY2025-26) 1 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2026 तक के लिए अपने प्रस्तावित व्यय और राजस्व की रूपरेखा देता है। वहीं आर्थिक सर्वेक्षण बजट से पहले जारी किया जाता है, जो आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सुझाव और पिछले वर्ष का लेखा जोखा होता है।
संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वे पेश होगा। लोकसभा में दोपहर 12 बजे जबकि राज्यसभा में 2 बजे आर्थिक सर्वे पेश होगा।
बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बजट से पहले मां लक्ष्मी को प्रणाम। मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ देर में आर्थिक सर्वे पेश करेंगी।
इकोनॉमिक सर्वे में एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, मुद्रा की आपूर्ति, कीमतें, आयात-निर्यात और विदेशी मुद्रा भंडार जैसे आर्थिक संकेतकों का जिक्र होता है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकार की राजकोषीय स्तिथि क्या है।
पिछले इकोनॉमिक सर्वे में महंगाई के मोर्चे पर रिपोर्ट में कहा गया कि भारत वित्त वर्ष 24 में रिटेल महंगाई को 5.4% पर रखने में कामयाब रहा, जो कि कोविड -19 महामारी अवधि के बाद सबसे कम है। हालांकि वित्त वर्ष 2014 में खाद्य महंगाई 7.5 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि वित्त वर्ष 2012 में यह 3.8 प्रतिशत थी।
पिछले आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया कि देश के निजी क्षेत्र की बैलेंस शीट में सुधार, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में अनुमानित वृद्धि, आईएमडी द्वारा सामान्य वर्षा के पूर्वानुमान और सुधारों के कारण भारत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 से 7% की दर से बढ़ेगा।
पिछले इकोनॉमिक सर्वे में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स में वृद्धि और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से डिविडेंड के रूप में हाई टैक्स रेवेन्यू के कारण वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा घटकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5.6 प्रतिशत हो गया। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत का कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) ₹9.5 लाख करोड़ था और ब्याज भुगतान पर बजट एक्सपेंडिचर वित्त वर्ष 24 में देश के राजस्व एक्सपेंडिचर का 30.4% था।
इकोनॉमिक सर्वे वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति की एक रिपोर्ट है। आमतौर पर यह पिछले वित्त वर्ष का लेखा जोखा होता है। यह दस्तावेज़ केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों का भी जिक्र करता है ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करेंगी। यह बीते वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है, जो बताता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था किस रफ़्तार से बढ़ी है।