भारत में गौरक्षा के नाम पर आंदोलन और हिंसा किसानों और चरवाहों को नुकसान पहुंचा रहा है। यह खुलासा एक इंटरनेशनल एनजीओ ह्यूमन राइट्स वाच द्वारा 19 फरवरी 2019 को एक जारी रिपोर्ट के माध्यम से हुआ है। फैक्टचेकर डॉट इन के अनुसार, वर्ष 2010 से 2018 के बीच भारत में गाय से संबंधित मामले को लेकर हिंसक हमले की 125 घटनाएं दर्ज की गई। इनमें से 98 प्रतिशत घटनाएं केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद की है। इसका असर ये हुआ है कि बीफ और चमड़ा निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह बात वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के वर्ष 2010-11 से 2017-18 के बीच के डेटा अध्ययन से सामने आयी है। बता दें कि बीफ और चमड़ा निर्यात करने वालों में भारत दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। निर्यात घटने से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है।

भारत दुनिया में बीफ का सबसे बड़ा निर्यातक है। एक साल में सिर्फ 28,449 करोड़ रुपये मूल्य के भैंस के मीट का निर्यात करता है। हालांकि, 2014 के बाद से निर्यात गिर गया है। भारत में सबसे ज्यादा मीट उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है। लेकिन यहां योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनने के बाद राज्य के मीट निर्याताकों के बीच अनिश्चितता का माहौल बन गया है।

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 के बाद से वर्ष 2014-15 में भारत ने सबसे ज्यादा भैंस के मीट का निर्यात किया था। इसका अनुमानित मूल्य करीब 33,976.718 करोड़ था। हालांकि, वर्ष 2013-14 के मुकाबले वर्ष 2014-15 में यह निर्यात वृद्धि दर 9.88 प्रतिशत गिरकर 35.93 प्रतिशत से 26.05 प्रतिशत हो गया। इसके बाद निर्यात प्रतिशत लगातार गिरता गया और वर्ष 2016-17 में यह -3.93 तक पहुंच गया। 2017-18 में निर्यात वृद्धि दर में सुधार हुआ और यह 3.06 प्रतिशत तक पहुंचा।

इसी तरह दुनिया के 13 प्रतिशत चमड़ा उद्योग पर भारत की पकड़ है। इस उद्योग का कारोबार प्रतिवर्ष 85,368 करोड़ रुपये का है, जिसका 48 प्रतिशत हिस्सा निर्यात से प्राप्त होता है। करीब 21 करोड़ लोग इस उद्योग में काम करते हैं, जिनमें 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। वर्ष 2017 में सरकार ने कहा था कि इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की संभावना है। इस समय सरकार द्वारा एक सर्वे में यह बात सामने आयी है कि जानवरों की बड़ी संख्या के बावजूद भारत का जानवरों का चमड़ा निर्यात काफी कम है और घट रहा है।

सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, वर्ष 2013-14 में चमड़ा और चमड़े से बने वस्तुओं का निर्यात 18 प्रतिशत बढ़ा था। वहीं, वर्ष 2014-15 में भी इसमें 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। लेकिन अगले ही साल 2015-16 में यह 20 प्रतिशत गिरकर -9.86 प्रतिशत पर पहुंच गया। हालांकि, 2017-18 में इसमें 1.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

बता दें कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद गौ-संरक्षण के नाम पर हेट क्राइम के मामले बढ़ गए। इनमें ज्यादातर घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई। निशाने पर मुस्लिम और ईसाई रहे। माना जाता है कि देश के कुछ नेताओं के विवादित बयान ने इन घटनाओं को बढ़ाने का काम किया। भाजपा शासित राज्यों में गौहत्या पर रोक के लिए कड़े कानून बनाए गए। गौहत्या को गैर-जमानती अपराध बनाया गया। इनके आरोपियों पर रासुका जैसे कानून लगाए गए। बीफ और चमड़े के निर्यात में कमी की एक वजह यह भी मानी जा रही है।