भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को कहा कि 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने का निर्णय विमुद्रीकरण (नोटबंदी) नहीं है। RBI ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि ये करेंसी मैनेजमेंट एक्सरसाइज (Currency Management Exercise) है।

नोट वापस लेने के आरबीआई के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पराग पी त्रिपाठी ने एक सबमिशन में कहा, “यह एक करेंसी मैनेजमेंट एक्सरसाइज है और विमुद्रीकरण नहीं है।” बता दें कि बेंच ने पहले एक मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पराग त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि पीठ द्वारा अपना आदेश घोषित करने के बाद इस मामले की सुनवाई बाद की तारीख में की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरबीआई का फैसला आर्थिक नीति की शुद्ध प्रकृति है।

पिछले शुक्रवार को RBI ने 2,000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने की घोषणा की थी। RBI ने कहा कि मौजूदा नोटों को 30 सितंबर तक बैंकों में जमा या बदला जा सकता है। हालांकि आरबीआई ने एक समय में 20,000 रुपये की सीमा निर्धारित की थी। यानी एक बार में 20 हजार तक के नोटों (10 नोट) की ही बदली हो सकती है। आरबीआई ने कहा कि ये नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे।

आरबीआई ने बैंकों को तत्काल प्रभाव से 2,000 रुपए के नोट जारी करना बंद करने की भी सलाह दी है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान 2,000 रुपये के नोट पेश किए गए थे। इस दौरान पुराने 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट वापस ले लिए गए थे। RBI ने जनता को सलाह दी है कि वे अपने मौजूदा 2,000 रुपये के नोट अपने बैंक खातों में जमा कर सकते हैं, और/या किसी भी बैंक शाखा में अन्य मूल्यवर्ग के नोटों में बदले जा सकते हैं।

बता दें कि 23 मई से नोटों को बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई है। ये 30 सितंबर तक चलेगी। ग्राहक किसी भी बैंक में जाकर अपने नोट बदल सकते हैं। वहीं नोटों को बदलने के लिए आपको किसी भी प्रकार का कोई प्रूफ नहीं दिखाना पड़ेगा।