अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों में 40 तक की तेजी देखने को मिली है लेकिन महंगे कच्चे तेल के बावजूद भी भारत में पेट्रोल डीजल की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। एक अनुमान मुताबिक अगले वित्त वर्ष में देश में पेट्रोल डीजल की मांग में 8.2 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

कच्चे तेल के निर्यातक देशों का समूह (ओपेक) के मुताबिक दुनिया के तीसरे सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश भारत की मांग 2022 में 0.39 मिलियन बैरल प्रतिदिन का इजाफा हो सकता है। जबकि 2020 में भारत में कच्चे तेल की औसत मांग 4.51 मिलियन बैरल प्रतिदिन थी जो 2021 में बढ़कर 4.76 मिलियन प्रतिदिन तक पहुंच गई। इस दौरान कच्चे तेल की मांग में 5.61 फीसदी का उछाल देखा गया। हालांकि कोरोना काल से पहले 2018 में भारत में कच्चे तेल की मांग 4.98 मिलियन बैरल प्रतिदिन और 4.99 मिलियन बैरल प्रतिदिन था।

ओपेक देशों ने अपनी मंथली ऑयल मार्केट रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 फीसदी की दर वृद्धि होगी और ओमिक्रोन वायरस के मामले कम होने के साथ ही देश में आवागमन बढ़ेगा जिसके कारण से तेल की मांग में वृद्धि हो सकती है। इसी तरह आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से इंडस्ट्रियल सेक्टर से भी डीजल और एलपीजी की मांग में इजाफा देखने को मिलेगा।

भारत सरकार की संस्था पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) ने अनुमान जताया है। इस साल देश में ईंधन की मांग में 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।

युद्ध के कारण बढ़ी कच्चे तेल की कीमत: रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत में पिछले को हफ्तों में 40 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है। 7 मार्च को कच्चे तेल की कीमत 14 साल के सबसे उच्चतम स्तर 140 डॉलर प्रति बैरल तक को छू गई। जिससे पूरी दुनिया में पेट्रोल डीजल की कीमतों में तेजी देखी गई है। हालांकि यूएई के कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के बयान के बाद तेल की कीमतों में नरमी आई है। फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 100 प्रति बैरल के आसपास है।