रिलायंस कॉम्युनिकेशंस के मालिक अनिल अंबानी को दिवालिया केस में दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दिवालिया कार्रवाई पर रोक लगाने के साथ ही अनिल अंबानी को अगले आदेश तक अपनी संपत्तियां न बेचने को कहा है। अंबानी ने अपनी याचिका में व्यापारी ललित जैन के मामले में हालिया आदेश का हवाला दिया था, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने दिवालिया कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और एमसीए, आईबीबीआई और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया था।

दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई शाखा को आदेश दिया कि वह अनिल अंबानी की संपत्तियों को लेकर अगले आदेश तक इन्सॉल्वेंसी रिजॉलूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति न करे। इस खंडपीठ में जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर शामिल थे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को रखी है और सभी पक्षों को अगली तारीख से पहले अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

रिलायंस कॉम्युनिकेशंस (आरकॉम) और रिलायंस इंफ्राटेल द्वारा लिए गए लोन के लिए अनिल अंबानी ने व्यक्तिगत गारंटी ली थी, जिसके लिए आईआरपी नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिका में उसी आधार के तहत राहत मांगी गई, जैसे व्यवसायी ललित जैन ने मांगी थी। इस मामले के जानकार एक वकील ने बताया कि कोर्ट ने दोनों मामलों को एक साथ लाने और उन पर एक साथ सुनवाई का फैसला किया है। हाई कोर्ट ने अब अंबानी को अंतरिम राहत दे दी है और उनके खिलाफ इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के भाग 3 के तहत शुरू की गई कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

आरकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल की ओर से एसबीआई से लिए 1,200 करोड़ रुपये के लोन पर अनिल अंबानी ने पर्सनल गारंटी ली थी। दोनों ही कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं, ऐसे में ट्रिब्यूनल ने अनिल अंबानी पर ही दिवालिया केस चलाए जाने का आदेश दिया था। अनिल अंबानी ने अपनी पर्सनल गारंटी पर 2016 में ये कर्ज लिए थे और अब दोनों ही कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं। इससे पहले एसबीआई ने NCLT मुंबई से अपील की थी कि बैंकरप्सी लॉ के पर्सनल गारंटी क्लॉज के तहत उसे रकम को रिकवर करने का अधिकार मिलना चाहिए।