कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCL) के दावेदारों ने अपनी समाधान के लिए बिडिंग जमा करने के लिए 4 महीने तक का समय मांगा है। वहीं यूएस की एसेट मैनेजमेंट फंड एडवेंट ने 16 सप्ताह के समय की मांग की है, जबकि पिरामल फाइनेंस ने 12 सप्ताह के अतिरिक्त समय की मांग की है, जो कि दिसंबर तक होगी।
वर्तमान समय सीमा के अनुसार, 75 करोड़ रुपए की बिड जमा (EMD) के साथ पक्की बोलियां जमा करने की अंतिम तिथि 29 सितंबर है। इसी तरह से अन्य बोलीदाताओं ने भी बोली दाखिल करने के लिए समय सीमा के समान विस्तार की मांग की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडसइंड बैंक ने 10 सप्ताह के समय की मांग की है।
वहीं ओकट्री ने 12 सप्ताह और ज्यूरिख रे ने 8 सप्ताह के लिए विस्तार की मांग की है। इन दावेदारों ने कहा है कि काम और प्रॉसेस को पूरा करने में इस समय की आवश्यकता होगी। सूत्रों के अनुसार, आने वाले सप्ताह में लेनदारों की समिति (COC) की बैठक होगी, जिसमें कर्जदाताओं के लिए अधिकतम प्राइज और रिलायंस कैपिटल की संपत्ति के लिए बोलियों के लिए विस्तार समय सीमा पर विचार किया जाएगा और फैसला किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले महीने, रिलायंस कैपिटल की पूरी संपत्ति के लिए टोरेंट, इंडसइंड बैंक, ओकट्री कैपिटल, कॉस्मिया फाइनेंशियल, ऑथम इन्वेस्टमेंट और बी राइट ग्रुप से छह बोलियां मिली थीं। ये बोलियां कंपनी के लिए 4,500 करोड़ रुपए के दायरे में थीं, जिसके आठ अलग-अलग बिजनेस वर्टिकल हैं।
तीन दावेदारों पिरामल फाइनेंस, ज्यूरिख रे, एडवेंट ने केवल रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कारोबार के लिए 3,500 करोड़ रुपए से 7,000 करोड़ रुपए के बीच बोलियां जमा की हैं। वहीं जिंदल स्टील एंड पावर और यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी ने आरसीएल के एसेट रिकंस्ट्रक्शन बिजनेस के लिए बोलियां जमा कर चुका है।
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले साल 29 नवंबर को भुगतान चूक और गंभीर मुद्दों को देखते हुए RCL के बोर्ड को हटा दिया था। यह तीसरी बड़ी NBFC कंपनी है, जिसके खिलाफ केंद्रीय बैंक ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत कार्रवाई शुरू की है। इस साल फरवरी में RBI द्वारा नियुक्त प्रशासक ने रिलायंस कैपिटल की बिक्री के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के लिए आवेदन मांगा था।