गौतम अडानी की समूह ने सीमेंट कंपनियों के अधिग्रहण को पूरा करने के कुछ दिनों बाद ही दो भारतीय सीमेंट फर्मों के लगभग 13 बिलियन डॉलर प्राइज के शेयर गिरवी रख दिए हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदम गौतम अडानी के निवेश और संपत्ति कमाने की भूख को दर्शाता है और इस कारण अडानी समूह पोर्ट टू पावर ग्रुप तेजी से फैला रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ड्यूश बैंक एजी की हांगकांग शाखा की ओर से भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों को की गई अलग-अलग फाइलिंग के अनुसार, कहा गया है कि इन गिरवी रखे शेयरों में ACC सीमेंट कंपनी की हिस्सेदारी 57 प्रतिशत है, तो वहीं अंंबुजा सीमेंट लिमिटेड में 63 प्रतिशत हिस्सेदारी है। फाइलिंग के अनुसार, ” शेयरों को गिरवी कुछ उधारदाताओं और अन्य वित्त दलों के लाभ के लिए” रखा गया है।
गौरतलब है कि सोमवार के बंद के आधार पर, एसीसी और अंबुजा में गिरवी रखे हिस्सेदारी का प्राइज 13 अरब डॉलर है। एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड और एक्सेंट ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, अडानी समूह से जुड़ी संस्थाएं, उन समझौतों का हिस्सा हैं, जिनके तहत शेयरों को गिरवी रखा गया है। अगस्त में एंडेवर ट्रेड को होल्सिम की भारत यूनिट की होल्डिंग कंपनी होल्डरइंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए भारत की एंटीट्रस्ट एजेंसी से मंजूरी मिली थी।
गिरवी रखे शेयरों का मतलब है कि लेन-देन एक तथाकथित गैर-निपटान उपक्रम है, जिसका अर्थ है कि शेयरों को तब तक बेचा नहीं जा सकता, जब तक कि लोन की राशि चुका नहीं जाती है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी की हरित ऊर्जा से लेकर मीडिया तक के नए क्षेत्रों में कदम रखने से हाई लोन का रिस्क पैदा करती है।
हालांकि अडानी ग्रुप अपनी लिस्टेड कंपनियों में तेजी से निवेश को थोड़ा कम किया है। वहीं अन्य इकाइयों के पास उच्च उत्तोलन अनुपात जारी है, जो विश्व स्तर पर सहकर्मी कंपनियों के बीच खड़े हैं। हाल ही में अडानी ग्रुप ने अंंबुजा और एसीसी का अधिग्रहण किया है, जो अब भारत की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बनान चाहता है। अडानी ग्रुप की योजना 2027 तक अपनी कंपनी की वार्षिक क्षमता को दोगुना करने की है।
जेफरीज फाइनेंशियल ग्रुप इंक के अनुसार, अधिग्रहण से अडानी समूह को दो लिस्टेड कंपनियों के साथ लगभग 110 बिलियन रुपये (1.4 बिलियन डॉलर) की नकदी मिली है। जेफरीज के विश्लेषक प्रतीक कुमार ने सोमवार को एक नोट में लिखा कि अपने नए मालिकों से 200 अरब रुपये के फंड विस्तार के लिए पर्याप्त है।
बता दें कि सीमेंट में अडानी के कदम और कमोडिटी की कीमतों में हालिया गिरावट के कारण भारत में सीमेंट शेयरों में तेजी आई है। मई में होल्सिम की बिक्री की घोषणा के बाद से एसीसी और अंबुजा के शेयरों में 29 प्रतिशत और 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।