बैंकर्स को राहत देने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने बैंकिंग एवं वित्तीय धोखाधड़ी सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफएफ) का दायरा बढ़ा दिया है। बता दें कि अब तीन करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि वाली बैंक धोखाधड़ी व जालसाजी की जांच मंजूरी के लिए एक विशेषज्ञ पैनल के पास भेजा जाएगा।

गौरतलब है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने नियमों में बदलाव किया है। जिसके तहत 3 करोड़ रुपये से अधिक के सभी बैंक धोखाधड़ी के मामलों को एक विशेषज्ञ पैनल के पास भेजा जाएगा। इससे यह तय किया जाएगा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा की गई जांच को किस रूप में देखा जा सकता है। बता दें कि इसे बैंकर्स को राहत देने के प्रयास तौर पर देखा जा रहा है।

पहले क्या था दायरा: बता दें कि नये नियम से पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केवल 50 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामलों को ही इस पैनल में भेजा जाता था। इसके अलावा बैंकरों ने सुझाव दिया है कि अगर कोई ऋण खाता सात या 10 साल तक मानक बना रहता है तो सीबीआई और सीवीसी जैसी एजेंसियों को मामलों की जांच करने से रोक दिया जाना चाहिए।

पिछले हफ्ते जारी एक सर्कुलर में सीवीसी ने कहा था कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद, बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफएफ) मामलों में सभी अधिकारियों और पूर्णकालिक निदेशकों (सेवारत और सेवानिवृत्त) की भूमिका की जांच करेगा।

सीवीसी ने कहा था कि 3 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये के बीच के मामलों के लिए एक अलग बोर्ड स्थापित किया जाएगा। जिसपर बैंकरों का पक्ष है कि त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता थी क्योंकि एबीबीएफएफ को भेजे जाने वाले मामलों की संख्या अब कई गुना बढ़ जाएगी।

वित्त मंत्रालय से विचार विमर्श: 6 जनवरी 2022 को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत मामले भी इस संशोधित प्रावधान के दायरे में आएंगे। अब इस तरह के मामलों में पैनल सभी पहलुओं की जांच करेगा और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय के साथ विमर्श के बाद फैसला लेगा।

बोर्ड में चार सदस्य: दरअसल बैंक धोखाधड़ी के मामलों में जांच करने और उसपर कार्रवाई की सिफारिश को लेकर भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी सीवीसी ने पूर्व सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन की अगुआई में एक सलाहकार बोर्ड का गठन किया है। इस बोर्ड में कुल चार सदस्य हैं। इसका गठन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के फैसलों को प्रोत्साहन दिए जाने के आह्वान को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था।