इंडानेशिया से मुक्त व्यापार समझौते के तहत स्वर्ण आभूषण आयात करने वाले भारतीय आभूषण निर्माताओं के लिए अच्छी खबर है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सीमा शुल्क विभाग को उनके माल को मंजूरी देने के लिए सरकार के ताजा परिपत्र का अनुकरण नहीं करने और मौजूदा नियमन का अनुपालन करने का निर्देश दिया है।
आभूषण निर्माताओं की तरफ से अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि मौजूदा नियमन के तहत माल के अस्थायी आकलन के लिए लागू शुल्क का 20 फीसद जमा किया जाना चाहिए वहीं पिछले महीने जारी परिपत्र में सीमा शुल्क विभाग को वस्तुओं को अस्थायी रूप से मंजूरी देने से पहले सौ फीसद बैंक गारंटी लेने को कहा गया है। न्यायाधीश बदर दुरेज अहमद और संजीव सचदेव की पीठ ने अंतरिम आदेश में सीमा शुल्क अधिकारियों को इंडोनेशिया से सोने की खेप को कानून व विशेष रूप से सीमा शुल्क (अस्थायी शुल्क आकलन) नियमन के तहत मंजूरी देने का निर्देश दिया।
बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन की याचिका पर पीठ ने सरकार, राजस्व खुफिया निदेशालय और सीमा शुल्क प्राधिकरण को नोटिस देकर 14 दिसंबर तक जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि परिपत्र के कारण उनका कारोबार प्रभावित हुआ है। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते के तहत अगर इंडोनेशियाई सरकारइस बात का प्रमाणपत्र देती है कि सोना उनके देश से लाया गया है और इसका स्रोत किसी अन्य के साथ मिला-जुला नहीं है तो इस पर सीमा शुल्क शून्य होगा जबकि अन्य मामलों में यह 15 फीसद लगता है।