सरकारी क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड बांग्लादेश को कोयला निर्यात करने के बारे में उससे ‘गहन परामर्श’ कर रही है। यह बात आज कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने कही। देश में कोयले की मांग में भारी गिरावट ओर बिजली घरों के पास ईंधन स्टाक ऊंचा होने के मद्देनजर कंपनी पड़ोसी देश को कोयले के निर्यात की संभावना देख रही है। कोयला खानों और बिजली सयंंत्रों के पास इस समय आठ करोड़ टन कोयला पड़ा है।
कोयला सचिव ने यहां कोयला उद्योग पर एक सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘हमारी बातचीत चल रही है और कोल इंडिया बांग्लादेश के साथ कोयला निर्यात के सबंध में गहन परामर्श कर रही है।’ भारत ने जुलाई में बांग्लादेश से वहां 1,320 मेगावाट क्षमता का कोयले से चलने वाला बिजली संयंत्र स्थापित करने का बड़ा समझौता किया है। यह द्विपक्षीय सहयोग की सबसे बड़ी परियोजना है। कोयले के उठाव और उत्पादन के संबंध में उन्होंने कहा कि खनन स्थलों और बिजली संयंत्रों में आठ करोड़ से अधिक कोयला पड़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे कोयला कहां रखेंगे। हमारे पास आठ करोड़ टन अधिक कोयला है। अब यदि आप का कुल उत्पादन 50 करोड़ टन है और आठ करोड़ टन का भंडार खड़ा हो गया है तो आपको इस पर विचार करना होगा और इसीलिए कोल इंडिया ने अधिक उत्पादन नहीं किया गया। दूसरी वजह है कि अगस्त में काफी बारिश हुई जिससे खनन प्रभावित हुआ।’ स्वरूप ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह कोई मुद्दा है क्योंकि कोल इंडिया रफ्तार पकड़ लेगी क्योंकि खुले में कोयला पड़ा और जरूरत पूरी कर सकती है।’
कोयला उत्पादन के लक्ष्य के संबंध में स्वरूप ने कहा कि मंत्रालय एक अरब टन के कोयला उत्पाद लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है और दो-तीन साल के बाद इसकी समीक्षा पर फैसला करेगी। सरकार ने इस लक्ष्य को छोड़ा नहीं है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कोल इंडिया लिमिटेड के लिए 59.8 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। कंपनी 2020 तक अपना उत्पादन दोगुना कर एक अरब टन करने पर विचार कर रही है। मांग में नरमी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार मौजूदा स्थिति को देखकर योजना नहीं बनाती।