वित्तीय परेशानियों का हवाला देकर अपने वकीलों को हटाने और ‘जेल के भीतर रहकर सुनवाई का सामना करने’ के लिए तैयार रहने की बात करने वाले पूर्व कोयला सचिव एसी गुप्ता शुक्रवार (19 अगस्त) को अपने रुख से आंशिक रूप से पलट गए और विशेष अदालत से कहा कि वह सिर्फ एक मामले में वकील नहीं रखेंगे। वह कोयला घोटाले के कई मामलों में आरोपी हैं। फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर रह रहे गुप्ता ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर के समक्ष यह बात की जिन्होंने शुक्रवार (19 अगस्त) को कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के एक मामले में गुप्ता के अलावा दो लोकसेवकों, निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड (वीएमपीएल) और उसके दो अधिकारियों के खिलाफ कई आरोप तय किये जिसमें धोखाधड़ी एवं आपराधिक षड्यंत्र शामिल हैं।

न्यायाधीश ने पूर्व कोयला सचिव से पूछा कि क्या वह वकीलों एवं निजी मुचलके को वापस लेने और ‘जेल के भीतर रहकर सुनवाई का सामना करने’ के लिए आवेदन देने का इरादा रखते हैं। अदालत ने कहा, ‘क्या आप (गुप्ता) इस मामले में भी आवेदन (वकीलों और निजी मुचलका वापस लेने के लिए) दाखिल कर रहे हैं?’ अदालत के सवाल के जवाब में गुप्ता ने कहा कि इस संदर्भ में उनकी याचिका सिर्फ मध्य प्रदेश आधारित कमल स्पोंज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) से संबंधित मामले से जुड़ी है तथा वह इस पर अडिग हैं कि उस मामले में वित्तीय परेशानियों के चलते वकील की सेवा नहीं लेंगे।
गुप्ता ने कहा, ‘मैं इस मामले (वीएमपीएल) में वकील की सेवा जारी रखूंगा।’

गुप्ता ने हाल में अदालत से कहा था कि वह ‘जेल में रहकर मुकदमे का सामना करना चाहते हैं’ और उन्होंने जमानत के लिए दिया गया निजी मुचलका वित्तीय परेशानियों के चलते वापस ले लिया था। उन्होंने नई दिल्ली विधि सहायता सेवा प्राधिकरण की ओर से एक वकील या अदालत की ओर से नियुक्त न्यायमित्र लेने की अदालत की पेशकश भी ठुकरा दी थी। उनकी अर्जी वर्तमान में अदालत में लंबित है। विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने वीएमपीएल के मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया जिसमें इससे पहले अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी थी। अदालत ने जांच एजेंसी से मामले की और जांच करने को कहा था।

मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोरी (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक का आवंटन वीएमपीएल को करने में कथित अनियमितताओं को लेकर है। सितम्बर 2012 में सीबीआई ने मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। गुप्ता और कंपनी के अलावा अदालत ने लोकसेवकों के खिलाफ भी मुकदमा शुरू किया जिसमें कोयल मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव के एस करोफा, कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए…आई) के सी समरिया, कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास पटनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक शामिल हैं। आरोपियों ने स्वयं को बेगुनाह बताया और कहा कि वे मुकदमे का सामना करेंगे। इसके बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवायी की तिथि नौ सितम्बर तय की। अदालत ने इस मामले में आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा कि ‘प्रथम दृष्टया’ आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वास हनन का मामला और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला बनता है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों के साथ ही गवाही को ध्यान में रखते हुए मेरा विचार है कि सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 :बी: 409, 420 तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(1) (सी) और 13 (1) (डी) के तहत मामला बनता है…।’ अदालत ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया करोफा और समरिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत पर्याप्त मामला बनता है। उसने कहा, ‘गुप्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले बनते हैं।’