जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी नहीं करने को लेकर पैदा विवाद के बीच केंद्र ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। समूह जाति के आधार पर आंकड़े एकत्र करने के लिए बनाया गया है। केंद्र ने राज्यों पर आरोप लगाया कि वे विभिन्न श्रेणियों में समेकन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद अरुण जेटली ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का गुरुवार को फैसला किया गया जो जाति संबंधी आंकड़ों का वर्गीकरण करेगा। जब यह कार्य पूरा हो जाएगा तो उचित समय पर आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला मई 2011 में यूपीए सरकार के किए गए फैसले के अनुरूप ही है।

मालूम हो कि सपा, जद (एकी), राजद और द्रमुक ने सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना में जाति आधारित आंकड़े जारी नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की है। सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना के आंकड़े तीन जुलाई को जारी किए गए थे। जेटली ने इस बात से इनकार किया कि बिहार के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक वजहों से सर्वे रिपोर्ट में जाति संबंधी आंकड़े देने से बचा गया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य, जो इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जाति समेकन को लेकर जल्द से जल्द अपनी सिफारिशें भेज दें तो अच्छा होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि जाति जनगणना भारत के महापंजीयक ने की थी। इसमें जाति, उपजाति, विभिन्न उपनाम आदि की 46 लाख श्रेणियां पेश की गई थीं। इन्हें आठ महीने पहले राज्यों के पास भेजा गया था ताकि उन्हें परस्पर संयुक्त कर समेकित किया जा सके। राज्यों की ओर से ब्योरा मिलने के बाद सरकार जाति आंकड़े जल्द से जल्द जारी करने की इच्छुक है क्योंकि पनगढ़िया की अध्यक्षता वाली समिति ही इसका वर्गीकरण करेगी।

मालूम हो कि विपक्ष एकजुट होकर इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। यह पूछने पर कि बिहार ने जाति संबंधी कितना ब्योरा भेज दिया है, जेटली ने कहा कि काफी कम। सरकारी बयान में बताया गया कि पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह के लिए सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय और आदिवासी मामलों का मंत्रालय अपने सदस्यों को मनोनीत करेगा।