वाहन पर पुलिस, प्रेस और अन्य प्रशासनिक अधिकारी के पद के नाम का स्टीकर लगाकर घुमने वालों की संख्या लगातार बढ रही है। यदि आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ये आपकी मुश्किलें बढा सकता है। मुंबई में पुलिस ने उन वाहनों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है जो गलत तरीके से स्टिकर लगाने का खेल कर रहे हैं। इसमें निजी वाहनों पर पुलिस, अधिवक्ता, प्रेस, न्यायाधीश, सरकार आदि जैसे स्टिकर शामिल हैं।
मुंबई हाईकोर्ट ने आदेश दिया है निजी वाहनों में इस तरह के स्टिकर का प्रयोग करना गलत है और एस नहीं होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि वाहनों पर इस तरह के स्टीकर लगाने का खेल केवल मुंबई में हो रहा है बल्कि पूरे देश में लोग इस तरह के स्टीकर को वाहन पर लगाकर उसका दुरउपयोग कर रहे हैं।
यह कोई राज की बात नहीं है कि भारत में सरकार और पुलिस की हनक काफी ज्यादा है, यही कारण है कि लोग नियमों को तोड़ने और जांच से बचने के लिए, इन स्टिकर का प्रयोग धडल्ले से कर रहे हैं। हालत ये है कि कोई भी महज 15 रुपये खर्च कर के इन स्टीकर को खरीद ले रहा है और उनका प्रयोग अपने वाहनों पर कर रहा है।
ऐसा नहीं है कि वो सभी वाहन जिन पर इस तरह का स्टीकर लगा होता है वो गलत होते हैं, लेकिन पुलिस अब ऐसे वाहन चालकों को रोक कर उनका पहचान पत्र चेक कर रही है। ताकि इस बात की तस्दीक की जा सके। कोर्ट के आदेश के बाद मुंबई की पुलिस हरकत में आ गई है और ऐसे वाहनों पर नकेल कस रही है और ज्यादातर मामलों में वाहन पर लगाए गए स्टीकर से उस व्यक्ति को कोई वास्तविक संबंध नहीं मिला है।
मसलन, महाराष्ट्र मोटर वाहन नियम (MMVR) की धारा 134 (6) और मोटर वाहन अधिनियम (MVA) की धारा 177 के अनुसार, निजी वाहनों पर गलत शब्द, आकृति, ड्राइंग या स्टिकर का प्रयोग पर 200 रुपये का जुर्माना लगता है। फिलहाल ये रोकथाम मुंबई में शुरु की गई है बहुत जल्द ही इसे देश के अन्य हिस्सो में भी लागू किया जाएगा ताकि इस तरह के फ्रॉड से बचा जा सके।