इलेक्ट्रिक वाहनों पर केंद्रित कंपनियों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए संस्थान गठित किए जाने की योजना है। इसके संकेत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिए हैं।
क्या कहा गडकरी ने: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा, ‘‘सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर ध्यान देने वाली कंपनियों को वित्त उपलब्ध कराने को लेकर संस्थान गठित करने की योजना बना रही है। साथ ही यह संस्थान सार्वजनिक परिवहन और कॉमर्शियल व्हीकल कैटेगरी को लोन देने के लिए नये वित्तीय साधनों को सुगम बनाएगा।’’ गडकरी ने कहा कि देश का इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है।
सरकार घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं का पूरा समर्थन कर रही है। गडकरी के मुताबिक बैटरी की लागत एक इलेक्ट्रिक वाहन का 50 प्रतिशत है और भारत के अनुसंधान संस्थान ऐसे वाहनों के लिए वैकल्पिक बैटरी तकनीक पर काम कर रहे हैं।
ये भी है योजना: नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार निर्माण उपकरण वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील करने के लिये प्रोत्साहन लाने की योजना बना रही है। हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का वित्त पोषण उद्योग 2030 में 3.7 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है जो मौजूदा खुदरा वाहन वित्त उद्योग का करीब 80 प्रतिशत है।
सरकार ने लिए हैं ये फैसला: बता दें कि हाल ही में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग और इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाली फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को बढ़ा दिया है। इस योजना को दो साल 31 मार्च, 2024 तक के लिये बढ़ा दिया गया है। योजना की समयसीमा बढ़ाये जाने से उद्योग को इलेक्ट्रिक वाहनों की टाली गयी मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
हाल ही में सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वेहिकल्स इन इंडिया चरण दो (फेम इंडिया दो) योजना में आंशिक संशोधन किया है। इसके तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया के लिए मांग प्रोत्साहन को बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच कर दिया गया है। पहले सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 10,000 प्रति केडब्ल्यूएच की समान सब्सिडी थी।