वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के अखिल भारतीय संगठन, ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) ने कहा कि सरकार को वाहन कलपुर्जा उद्योग क्षेत्र को प्रस्तावित वृहद आर्थिक सहयोग भागीदारी (आरसीईपी) मुक्त व्यापार समझौते से बाहर रखना चाहिए। ऐसा नहीं करने से चीन चोरी-छिपे बाजार में प्रवेश कर बढ़त बना सकता है। मौजूदा समय में भारत सबसे ज्यादा चीन से ही वाहन कलपुर्जों का आयात करता है।
एक्मा ने कहा कि देश में चीन के किसी भी मूल वाहन कलपुर्जा विनिर्माता (ओईएम) के मौजूद ना होने के बावजूद 2018-19 में चीन से देश में 4.6 अरब डॉलर का वाहन कलपुर्जा आयात किया गया। यह देश के कुल वाहन कलपुर्जा आयात का 27 प्रतिशत है।
एक्मा के महानिदेशक विनी मेहता ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरसीईपी को लेकर हमारी मुख्य चिंता यह है कि इसमें आसियान देशों के साथ चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं। इसके तहत चीन को चोरी-छिपे बाजार में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।’’
उन्होंने स्पष्ट किया कि देश के कुल वाहन कलपुर्जा आयात में चीन 27 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है। वहीं जर्मनी 14 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया 10 प्रतिशत, जापान नौ प्रतिशत और अमेरिका सात प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं।
मेहता ने कहा कि यह बात समझे जाने योग्य है कि जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका से आयात किए जाने वाले वाहन कलपुर्जों में मूल कलपुर्जा विनिर्माता भी शामिल हैं जबकि चीन से इस तरह का कोई भी ओईएम देश में मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन से आयात किए जाने वाले अधिकतर वाहन कलपुर्जे बिक्री के बाद की र्सिवस में उपयोग होते हैं जहां गुणवत्ता मानकों का पूरी तरह पालन नहीं किया जाता।
वर्ष 2018 में देश का चीन को वाहन कलपुर्जा निर्यात 30 करोड़ डॉलर रहा था। मेहता ने चीन से आयात और बढ़ने की संभावना पर चिंता जताते हुए कहा कि उन्होंने सरकार से वाहन उद्योग क्षेत्र को आरसीईपी से बाहर रखने या कम से कम नकारात्मक सूची में रखने के लिए कहा है।
इनपुट: भाषा