इंटरनेट के इस तेज रफ्तार युग में सारा खेल ही डाटा को होकर रह गया है। चाहे वो डाटा इंटरनेट का हो या फिर किसी के व्यक्तिगत जानकारियों का। यदि भविष्य में आपको किसी ऐसे व्यक्ति का फोन आता है जिसके पास आपकी सारी व्यक्तिगत जानकारी हो तो चौकिएगा मत, क्योंकि भारत सरकार खुद लोगों के निजी जानकारियों को पैसे के लिए बेच रही है।
हाल ही में संसद के उपरी सदन में प्रश्नकाल के दौरान सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि, सरकार ने राजस्व के लिए वाहनों के रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस का डाटा बेचना शुरू कर दिया है। इंडिया टूडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 87 निजी कंपनियों और 32 सरकारी संस्थाओं के पास Vahan और Vahan के डेटाबेस को एक्सेस मिला है।
इसे पहली बार सन 2011 में शुरु किया गया था और अब तक 8 सालों में इसमें भारी मात्रा में डाटा जमा किया जा चुका है। इसके वाहन मालिकों और उनके बारे में कई जानकारियां उपलब्ध हैं। बता दें कि, वाहन और सारथी दोनों ही सॉफ्टवेयर हैं, जिनका प्रयोग सरकार वाहनों और ड्राइविंग लाइसेंस का डाटा जमा करने के लिए करती है।
वाहन सॉफ्टवेयर में वाहनों के रजिस्ट्रेशन, टैक्स, फिटनेस, चालान, परमिट इत्यादि की जानकारी सेव की जाती है। वहीं सारथी के डेटाबेस में ड्राइविंग लाइसेंस, फीस, कंडक्टर लाइसेंस जैसी जानकारियां मिलती हैं। हालांकि सरकार ने इस बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की है कि उसने ये डाटा हर कंपनी को कितने रुपये में बेचा है। लेकिन इतना बताया गया है कि, 87 निजी कंपनियों और 32 सरकारी संस्थाओं ने इस डाटा के लिए अब तक 65 करोड़ रुपये दिए हैं।
इसके अलावा अभी डाटाबेस के बारे में भी पुख्ता जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इसमें 25 करोड़ वाहनों के रजिस्ट्रेशन डिटेल और 15 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस का डाटा शामिल था।
गडकरी ने राज्यसभा में एक जवाब में बताया कि “बल्क डेटा शेयरिंग पॉलिसी और प्रक्रिया” निजी कंपनियों को डेटा का उपयोग करने की अनुमति देती है। वित्तीय वर्ष 2019 और 2020 के लिए डेटा मांगने वाली कंपनियों के लिए लागत 3 करोड़ रुपये होगी। वहीं शैक्षिक संस्थानों को “शोध के उद्देश्य और आंतरिक उपयोग के लिए” ये डेटा कम कीमत में उपलब्ध होगी। सरकार इसके लिए केवल 5 लाख रुपये में ही डेटा उपलब्घ करायेगी।