भारत में भले ही आज कारें लोअर मिडिल क्लास तक के लोगों तक पहुंचती दिख रही हैं, लेकिन एक दौर ऐसा भी था, जब भारत में कारें लग्जरी सवारी मानी जाती थीं। यही नहीं आजादी से पहले तो इक्का-दुक्का लोगों के पास ही कार होती थी। भारत में पहली कार की बात करें तो उसके मालिक भारतीय नहीं बल्कि अंग्रेज अधिकारी मिस्टर फॉस्टर थे, जो Crompton Greaves कंपनी से जुड़े हुए थे। मिस्टर फोस्टर के पास 1897 में कार आई थी। इसके कुछ समय बाद ही भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा ग्रुप के संस्थापक रहे जमशेदजी टाटा के पास कार आई थी। दिलचस्प बात है कि आगे चलकर जमशेदजी के टाटा समूह ने ही टाटा मोटर्स कंपनी की स्थापना की थी।
आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में टाटा मोटर्स का विस्तार है। यही नहीं जगुआर कंपनी का भी अब टाटा मोटर्स ने ही अधिग्रहण कर लिया है। पैसेंजर वीकल्स के साथ ही टाटा मोटर्स कई कैटिगरीज में कमर्शल वीकल्स भी तैयार करती है। हालांकि भारत में कारों के निर्माण में मारुति सुजुकी की एंट्री के बाद तेजी आई थी।
उससे पहले हिंदुस्तान मोटर्स की अंबेसडर कार ही देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और सबसे ज्यादा बिकने वाली कार थी। मारुति सुजुकी ने 1983 में मारुति 800 लॉन्च की थी और इस कार ने भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को अप्रत्याशित तेजी देने का काम किया था।
मारुति सुजुकी ने उस दौरान 28 लाख कारों की मैन्युफैक्चिरिंग की थी, जिनमें से 26 लाख गाड़ियां भारत में ही बिकी थीं। यह भारत में एक तरह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में रिवॉलूशन जैसा था। इस कार के बाद मारुति सुजुकी ने भारतीय मार्केट में अपने पांव जमा लिए थे और आज 70 पर्सेंट के करीब मार्केट शेयर के साथ देश की नंबर वन कंपनी है। आज भी देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में मारुति सुजुकी की 800 शामिल है। इस कार का उत्पादन कंपनी ने बंद कर दिया है, लेकिन इसके विकल्प के तौर पर Alto 800 की लॉन्चिंग की है। आंकड़ों के मुताबिक कंपनी अब तक ऑल्टो की 40 लाख से ज्यादा यूनिट्स बेच चुकी है।