Electric Vehicle Cost: देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार काफी उत्सुक है। हाल ही में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा है कि, बैटरी की कीमतों में कमी के कारण अगले तीन-चार साल में इलेक्ट्रिक वाहन की लागत पेट्रोल – डीजल इंजन गाड़ियों के लगभग बराबर हो जाएगी। भारत को पारंपरिक ईंधन वाहन से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।

कांत ने कहा कि भारत में प्रत्येक 1,000 लोगों के पास 28 कारें हैं। यह अमेरिका और यूरोप की तुलना में काफी कम है , जहां 1,000 लोगों पर क्रमश: 980 और 850 गाडियां है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि भारत में शहरीकरण के और बढ़ने की संभावना है। भविष्य में सब कुछ बिजली से जुड़ा होगा।

नीति आयोग के सीईओ कांत ने सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा , “हम इलेक्ट्रिक वाहन की ओर बढ़ेंगे क्योंकि बैटरी की कीमत 276 डॉलर प्रति किलोवाट से घटकर 76 डॉलर किलोवाट प्रति घंटा (kWh) रह जाएगी। अगले तीन से चार साल में इलेक्ट्रिक वाहन की लागत पारंपरिक दहन इंजन कारों के लगभग बराबर हो जाएगी। इलेक्ट्रिक वाहन में आमतौर पर लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है।

उन्होंने कहा कि जब ऐसा होगा तो जरूरी है कि भारत को उस समय पर्याप्त कठिन परिश्रम करना चाहिए ताकि नियत समय पर हमारे तिपहिया, चार पहिया और बसें सभी इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील हो जाएं। इससे हम कच्चे तेल की खपत में भारी कमी करने में सक्षम होंगे।
कांत ने जोर देकर कहा , “हमने एक नीतिगत ढांचा तैयार किया है , भविष्य में लोग इलेक्ट्रिक वाहन की ओर जाएंगे। लोगों को प्रोस्ताहित करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन दिया गया है। ” उन्होंने कहा कि भारत ने पेरिस समझौते में कई प्रतिबद्धताएं की है और कुल प्रदूषण में करीब 35 प्रतिशत की कमी करने के लिए अब भी प्रतिबद्ध है।

इनपुट: भाषा