देश में जितना बड़ा नई कार का मार्केट है उतना ही बड़ा सेकेंड हैंड कार का मार्केट भी है जिसके चलते वो लोग भी कार लेने का सपना पूरा कर लेते हैं जिनके पास बजट की हमेशा दिक्कत रहती है। इन सेकेंड हैंड कारों को बेचने के लिए तमाम कंपनियां डीलर्स और वेबसाइट मिल जाएंगी जहां से आप अपने बजट के मुताबिक सेकेंड हैंड कार खरीद सकते हैं।
अगर आप भी सेकेंड हैंड कार लेने की सोच रहे हैं तो हम आपको कुछ ऐसी सावधानियां बताने जा रहे हैं जिनका पालन करने पर आप पुरानी गाड़ी लेने के बाद कभी नुकसान में नहीं रहेंगे। क्योंकि ये सावधानियां न तो आपको कोई कार डीलर बताएगा, न कोई कंपनी और न कोई सेकेंड हैंड कार बेचने वाला व्यक्ति।
नीचे दिए गए निर्देशों का पालन कर आप खरीद सकेंगे सही कार।
1. गाड़ी का रिकॉर्डः गाड़ी लेने से पहले गाड़ी का पूरा रिकॉर्ड जरूर चेक कर लें। उसके सर्विस रिकॉर्ड को आप उस गाड़ी के शोरूम में चेक कर सकते हैं। बिना सर्विस रिकॉर्ड की गाड़ी खरीदने से बचें क्योंकि ऐसी गाड़ियों में अक्सर कम किलोमीटर दिखाने के लिए मीटर से छेड़छाड़ की जाती है।
2. इंजन की जांच: कार की डील करने से पहले उसके इंजन की ठीक से जांच की जाए तो बेहतर होगा। अगर आप गाड़ी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं तो अपने साथ अपने किसी जानकार मकैनिक को ले जाकर कार का इंजन चेक करा सकते हैं। क्योंकि कई बार इंजन में ऐसी खराबियां होती हैं जिनको सिर्फ मैकेनिक ही पकड़ सकता है। इसलिए कार खरीदने से पहले उसके इंजन की अच्छी तरह से जांच जरूर कर लें। (ये भी पढ़ें- भारत की टॉप 5 CNG कार जो दिलाएंगी पेट्रोल के बढ़ते दाम से आजादी)
3. टायरों की जांच: जब आप कार खरीद रहें हों तो कार के टायरों की जांच भी जरूर करें लें क्योंकि सेकेंड हैंड कारों में ज्यादातर ऐसे टायर मिलते हैं जो आधे खराब हो चुके होते हैं। अगर टायर ज्यादा पुराने और घिसे हुए हों तो उनको कार मालिक से बदलवाने के बाद ही डील फाइनल करें। क्योंकि अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदने के बाद उसमें टायर डलवाने जाएंगे तो आपका 15 से 20 हजार रुपये खर्च होना तय है।
4. ओरिजनल पेंट: कार को नया दिखाने के चक्कर में अक्सर डीलर या लोग अपनी कार को रीपेंट करवा देते हैं। जिससे कस्टमर उसकी चमक देखकर धोखे में आ जाता है। अक्सर गाड़ी को रीपेंट तक किया जाता है जब उसका एक्सिडेंट हो जाता है। इसलिए गाड़ी की चमक पर न जाते हुए उसके पेंट की जांच जरूर करें। आमतौर पर गाड़ी के दरवाजे और उसके बंपर को देखकर आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि गाड़ी दोबारा पेंट हुई है या नहीं।
5 सर्टिफाइड कार: आजकल तमाम कार निर्माता कंपनियों ने अपनी नई गाड़ियों के अलावा अपनी कंपनी की सेकेंड हैंड गाडियों को सेल करना भी शुरू किया है जिसमें मारुति, हुंडई, महिंद्रा जैसी कंपनियां प्रमुख हैं ये कंपनियां सिर्फ सर्टिफाइड गाडियों को ही सेल करती है जिनपर ये गारंटी और वारंटी देते हैं। इसके अलावा कई ऑनलाइन वेबसाइट भी हैं जो सेकेंड हैंड कार बेचती हैं और उनपर गारंटी वारंटी देती हैं।
इसलिए हमारी आपको यही सलाह रहेगी की अगर सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदनी है तो उसको किसी कंपनी के सर्टिफाइड ब्रांच से ही खरीदें ताकि आपको भविष्य में किसी तरह का नुकसान उठाना न पड़े।