दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने 2018 में राजधानी दिल्ली में होने वाले सड़क हादसों का एक डाटा जारी किया है। ये डाटा काफी चौकाने वाला है, इसके अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में 2017 में 1584 मौतें और 2018 में 1690 मौतें हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में, अकेले दिल्ली शहर में 6515 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिसमें 6086 लोग घायल हुए, जबकि 1690 लोगों की जान चली गई। इस रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु दर में तकरीबन 6.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, हालांकि सड़क दुर्घटनाओं में 2.36 प्रतिशत की गिरावट आई है।
पैदल यात्री सबसे कमजोर शिकार: साल 2018 में दिल्ली में हुई सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए कुल व्यक्तियों में से 45.86 प्रतिशत पैदल यात्री थे। वहीं स्कूटर या मोटरसाइकिल से हुए सड़क हादसों में तकरीबन 33.72 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है। बता दें कि, वर्ष 2009 के बाद से सड़क हादसों में होने वाली मौतों की दर में भारी गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन पिछले साल इसमें फिर बदलाव हुआ है और सड़क हादसों में मृत्यु दर बढ़ गई है।
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हरियाणा की गाड़ियां हैं घातक: इस रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों पर गौर करें तो ये भी बात सामने आई है कि दिल्ली में जो दुर्घटनाएं हुई हैं उनमें सबसे ज्यादा गाड़ियां वही हैं जिनका रजिस्ट्रेशन हरियाणा में हुआ है। साल 2018 में हुई 1657 घातक दुर्घटनाओं में से तकरीबन 150 सड़क हादसों में हरियाणा की रजिस्टर्ड गाड़ियां शामिल थीं। ये किसी भी अन्य राज्य की पंजीकृत वाहनों की संख्या के मुकाबले सबसे ज्यादा था।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 743 दुर्घटनाएं दिन के दौरान हुई जबकि 914 रात के समय हुई हैं। दिल्ली ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने शहर के भीतर 110 क्लस्टर एक्सीडेंटल प्वाइंट्स के तौर पर चिन्हीत भी किया है। इनमें रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड, रोहतक रोड और ग्रैंड ट्रंक रोड पर सबसे खतरनाक सड़क हादसे हुए हैं। इसके अलावा साल 2018 में कारों और टैक्सियों के कारण 253 सड़क हादसे हुए हैं। जो कि कुल सड़क हादसों की 15.26 प्रतिशत थीं।
क्या है वजह: इस रिपोर्ट से ये साफ हो गया है कि पैदल चलने वाले लोग सबसे कमजोर शिकार हैं। इसके लिए न केवल पैदल यात्री जिम्मेदार है बल्कि लोगों की ड्राइविंग स्किल की भी अहम भूमिका है। कई बार लोग भीड़ भाड़ वाले इलाके में भी तेज रफ्तार में ड्राइविंग करते हैं, इसके अलावा आगे निकलने की होड़ में जेब्रा क्रॉसिंग जंप करना, बिना ट्रैफिक नियमों के पालन किए या फिर इंडीकेटर का प्रयोग किए दूसरी लेन में प्रवेश करना इत्यादि ऐसे प्रमुख कारण हैं जो कि इस तरह के हादसों को जन्म देते हैं। वहीं पैदल यात्रियों को भी सड़क पर चलते समय खासा ध्यान देने की जरूरत होती है।