सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल को 1,250 करोड़ रुपए का बहु-प्रतीक्षित मुआवजा देने को आज मंजूरी दे दी। कंपनी को यह मुआवजा एक अप्रैल 2002 से पहले गांवों में स्थापित लैंडलाइन कनेक्शन को लेकर दिया गया है। भारतीय टेलीग्राफ नियम (आईटीआर), 1951 में संशोधन के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को यह सब्सिडी दी जाएगी। सरकार के प्रधान प्रवक्ता फ्रैंक नोरोन्हा ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मंत्रिमंडल ने गांवों में वायरलाइन कनेक्शन के परिचालन से बीएसएनएल को हुए घाटे को पूरा करने के लिये मुआवजे के रूप में 1,250 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने को आज मंजूरी दी।’’

[jwplayer j79POnQp-gkfBj45V]

उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2002 के पहले लगे ग्रमाीण कनेक्शन के लिये बीएसएनएल को सब्सिडी सार्वभौमिक सेवा बाध्यता कोष (यूएसओएफ) से दी जाएगी। सरकारी कंपनी ने सरकार से ग्रामीण वायरलाइन कनेक्शन के समर्थन के लिये 2,000 करोड़ रुपए देने को कहा है। बीएसएनएल की रिपोर्ट तथा एक अप्रैल 2002 से पहले लगे ग्रामीण वायरलाइन कनेक्शन के संदर्भ में विस्तृत सूचना के आधार पर गांवों में प्रति वायरलाइन घाटा 2011-12 के लिये 4,876 रुपए का अनुमान लगाया गया है।

इसके तहत एक अप्रैल 2002 से पहले लगे ग्रामीण वायर-लाइन कनेक्शन के मामले में 2011-12 और 2012-13 के लिये घाटा क्रमश: 1,593 करोड़ रुपए तथा 1,265 करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया है। दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को इन कनेक्शन के लिये 17 जुलाई, 2011 तक सब्सिडी का भुगतान किया।