नरेंद्र मोदी सरकार ने शुक्रवार (एक फरवरी, 2019) को कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया। यह अंतरिम था, जिसमें आयकर की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर दोगुणी कर दी गई। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट भाषण में कहा था कि पांच लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। आयकर स्लैब में नए प्रस्तावों से लगभग तीन करोड़ भारतीय लाभान्वित होंगे। हालांकि, निवेश (डेढ़ लाख रुपए) के बाद साढ़े छह लाख तक की आय पर भी टैक्स नहीं लगेगा। आइए जानते हैं कि कहां और कैसे निवेश से अधिक आमदनी पर टैक्स बचाया जा सकता हैः

स्टैंडर्ड डिडक्शन: एक अप्रैल 2019 से प्रभाव में आने वाले आयकर के नए प्रस्ताव में स्डैंडर्ड
डिडक्शन की रकम 50 हजार रुपए होगी। मसलन अगर कोई व्यक्ति प्रति वर्ष साढ़े पांच लाख रुपए कमाएगा, तो उसकी कुल आय में 50 हजार रुपए स्डैंडर्ड डिडक्शन के रूप में कम हो जाएगी। यानी उसकी शुद्ध कर योग्य आय पांच लाख रुपए प्रति वर्ष हो जाएगी। इतनी आय पर मौजूदा समय में 13000 हजार रुपए का सालाना टैक्स बनता है। यानी नए प्रस्ताव में लोगों को 13 हजार रुपए का लाभ मिलेगा।

सरकार ने जब से अपने फाइनैंस बिल में 12500 रुपए को पांच लाख रुपए तक की आय पर नए अधिकतम टैक्स के रूप में शामिल किया है, लिहाजा संबंधित करदाताओं को एजुकेशन और हेल्थ सेस के नाते 500 रुपए (12500 की चार फीसदी) चुकाने होंगे। 50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन सभी पर लागू होगा। ज्यादातर लोगों को इस नए बेनेफिट के चलते दो से तीन हजार का टैक्स बचाने में मदद मिलेगी।

नहीं बदली इनकम टैक्स स्लैबः मौजूदा टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इन तीन चीजों को समझें-

1- टैक्स एक्जंप्शनः आय के कुछ स्रोत पूरी तरह से टैक्स से छूट पाते हैं। वर्तमान में ढाई लाख तक की आय पर टैक्स एक्जंप्शन मिलता है। अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय छह लाख है, तब मौजूदा 2.5 लाख की एक्जंप्शन लिमिट घटाने के बाद उसका टैक्स जोड़ा जाएगा। टैक्स एक्जंप्शन में आय पर किसी प्रकार के कर का प्रभाव नहीं पड़ता है। एचआरए और कृषि आय को टैक्स से छूट मिलती है।

2- टैक्स रीबेटः यह रकम करदाता द्वारा चुकाई नहीं जाती है, बल्कि इस छूट को क्लेम के रूप में हासिल किया जाता है।

3- टैक्स डिडक्शनः यह वह रकम होती है, जिसे आयकर विभाग करदाता द्वारा किए जाने वाले खर्चों और निवेश को लेकर घटा देता है। आयकर की धारा 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपए तक की छूट इस डिडक्शन के जरिए पाई जा सकती है। ईएलएसएस योजना, पीपीएफ, एनएससी और कुछ चीजों के जरिए यह रियायत हासिल की जा सकती है।