Budget 2019 vs Budget 2018 Income Tax Slab Rate: केंद्रीय वित्त मंत्री (प्रभारी) पीयूष गोयल ने शुक्रवार (1 फरवरी) को संसद में बजट पेश किया। बजट में मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये कर दिया गया। अब पांच लाख रुपये की आय तक टैक्स नहीं लगेगा। प्रोविडेंट फंड या इक्विटी में 1.5 लाख रुपया निवेश करने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। यूं कहें तो यदि किसी व्यक्ति की आय 6.5 लाख रुपये है और वे 1.5 लाख रुपये का निवेश करते हैं तो उन्हें किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। इसके साथ ही सैलरी क्लास के लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है। बैंक और पोस्ट ऑफिस में जमा राशि पर टीडीएस की सीमा 10,000 से 40,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है।
बजट पेश करने के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैं ईमानदार करदाताओं को धन्यवाद देता हूं। पिछले एक साल में 12 लाख करोड़ रुपये का टैक्स जमा हुआ। टैक्स देने वालों की तादात 80 प्रतिशत तक बढ़ी। मध्यम वर्ग का टैक्स कम करना हमारी पहली प्राथमिकता है। अब टैक्स मूल्यांकन के लिए दफ्तर नहीं जाना पड़ेगा। 24 घंटे में आईटी रिटर्न की प्रोसेसिंग हो जाएगी। हमारी सरकार में नोटबंदी लागू की गई। इसका असर ये है कि कालाधन समाप्त हो रहा है। नोटबंदी से एक लाख 36 हजार करोड़ का टैक्स मिला। एक करोड़ से ज्यादा नए लोगों ने टैक्स जमा किया।” हालांकि, पांच लाख से ज्यादा आय वालों के स्लैब में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया गया है। उन्हें पुराने स्लैब के हिसाब ही टैक्स जमा करना होगा।
Budget 2019 India LIVE Updates
बता दें कि पिछले साल वर्ष 2018 में अरुण जेटली ने बजट पेश किया था। इस बजट में 60 वर्ष से कम लोगों के लिए आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये थी। 2.5 लाख से ऊपर और 5 लाख रुपये तक आय वालों के लिए आयकर की दर 5 प्रतिशत थी। वहीं, 5 लाख से ऊपर और 10 लाख तक के लिए आयकर की दर 20 प्रतिशत तथा 10 लाख से ऊपर वालों के लिए यह दर 30 प्रतिशत थी।
60 वर्ष की उम्र से ज्यादा और 80 वर्ष की उम्र से कम के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 3 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री थी। 3 लाख से ज्यादा और 5 लाख तक की आय पर 5 प्रतिशत, 5 लाख से ऊपर और 10 लाख तक पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ऊपर आय पर 30 प्रतिशत टैक्स था। हालांकि, 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों की 5 लाख तक की आय टैक्स फ्री थी। 5 लाख से ऊपर और 10 लाख तक की आय पर 20 प्रतिशत तथा 10 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स था।