बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर (former ICICI CEO Chanda Kochhar and Deepak Kochhar) को न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उनकी गिरफ़्तारी कानून के अनुसार नहीं है। कोचर दंपति को 1 लाख रुपये के बॉन्ड भरने के भी आदेश दिए गए हैं।
धारा 41A के अनुसार गिरफ़्तारी नहीं
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के चव्हाण (Justice Revati Mohite-Dere and Justice Prithviraj K Chavan) की डिवीज़न बेंच ने कहा, “याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41A के अनुपालन में नहीं है।”
बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की सीबीआई द्वारा कथित “अवैध गिरफ्तारी” के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सीबीआई ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक ऋण मामले (Videocon-ICICI Bank loan case) में चंदा कोचर को 25 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। कोचर दंपति इस आधार पर भी अंतरिम राहत की मांग कर रहे थे कि उनके बेटे की इसी महीने शादी होनी है। कोचर परिवार ने अदालत में तर्क दिया था कि सीबीआई की गिरफ्तारी इस आधार पर मनमानी और अवैध थी कि उन्हें कथित रूप से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 46 (4) के तहत अनुपालन किए बिना गिरफ्तार किया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि गिरफ़्तारी के दौरान कोई महिला पुलिस अधिकारी भी उपस्थिति नहीं थी।
वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत भी हो चुके हैं गिरफ्तार
बता दें कि 26 दिसंबर को वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत (Videocon Group Chairman Venugopal Dhoot) को CBI ने आईसीआईसीआई ऋण मामले में गिरफ्तार किया था। बता दें कि वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन मिला था और ये तब मिला था जब चंदा कोचर बैंक की सीईओ थीं। आरोप है कि इस लोन के बदले दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल में वीडियोकॉन ने निवेश किया था।
आरोपों के अनुसार वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर 2010 और 2012 के बीच वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा ऋण दिए जाने के कुछ महीनों बाद बदले में न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया था।