लुइसियाना के गर्वनर बॉबी जिंदल का कहना है कि वे टुकड़ों में बनती पहचान में विश्वास नहीं रखते और पूरी तरह अमेरिकी हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि चार दशक पहले उनके माता-पिता भारत से अमेरिका में अमेरिकी बनने के लिए आए थे, भारतीय-अमेरिकी बनने नहीं।

उन्होंने अपनी भारतीय पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए प्रवासियों से यहां की सभ्यता के साथ घुलमिल जाने का आहवान किया।

जिंदल ने एक तैयार भाषण में कहा, मेरे माता-पिता अमेरिकी सपने की खोज में आए थे और उन्होंने उसे पूरा किया। उनके लिए अमेरिका सिर्फ एक जगह नहीं थी, वह एक विचार था। मेरे माता-पिता ने मेरे भाई और मुझसे कहा था कि हम अमेरिका अमेरिकी बनने आए हैं। भारतीय-अमेरिकी नहीं, सिर्फ अमेरिकी।

जिंदल अगले सप्ताह यह भाषण देंगे लेकिन उसके कुछ अंश ही फिलहाल जारी किए गए हैं। जिंदल किसी अमेरिकी राज्य के पहले भारतीय-अमेरिकी गवर्नर हैं और वह सोमवार को लंदन में हेनरी जैकसन सोसाइटी को संबोधित करेंगे।

जिंदल के तैयार भाषण की टिप्पणियां जारी करते हुए उनके कार्यालय ने कहा कि लुईसियाना के गवर्नर देशों को मजबूत करने और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए प्रवासियों से स्थानीय सभ्यता से घुलमिल जाने की अपील करेंगे।

भारतीय-अमेरिकी के रूप में पुकारा जाना पसंद न करने की वजह बताते हुए जिंदल ने कहा, यदि हम भारतीय ही रहना चाहते थे तो हमें भारत में ही रहना चाहिए था। ऐसा नहीं है कि उन्हें भारत से होने की शर्मिंदगी है, उन्हें भारत से प्यार है। लेकिन वे अमेरिका आए क्योंकि वे बड़े अवसर और आजादी को खोज रहे थे।

उन्होंने कहा, मैं टुकड़ों में अमेरिकी होने पर यकीन नहीं करता। यह विचार मुझे कुछ परेशानी में डाल देता है। वे भारतीय-अमेरिकी, आइरिश-अमेरिकी, अफ्रीकी-अमेरिकी, इतालवी-अमेरिकी, मेक्सिकन-अमेरिकी आदि कहकर पुकारते हैं। एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं यह नहीं कह रहा कि लोगों को उनकी सांस्कृतिक विरासत के प्रति शर्मिंदा होना चाहिए।

उन्होंने कहा, मैं स्पष्ट तौर पर यह कह रहा हूं कि देशों के लिए यह पूरी तरह से तर्कसंगत है, कि वे अपने देश में लोगों को आने की अनुमति देते हुए यह भेद कर सकें कि आने वाले लोग इस देश की संस्कृति को अपनाना चाहते हैं या इस देश की संस्कृति को नष्ट करना या इसके भीतर ही एक अलग संस्कृति की स्थापना करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, एक संप्रभु देश के लिए यह पूरी तरह तर्कसंगत और यहां तक कि जरूरी है कि वह यह भेद कर सके कि कौन लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं और कौन उन्हें बांटना चाहते हैं। आव्रजन की नीति का किसी व्यक्ति की त्वचा के रंग से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। मुझे लगता है कि जो लोग त्वचा के रंग के बारे में चिंता करते हैं, वे सबसे कम समझ वाले होते हैं। मेरा उससे कोई वास्ता नहीं है।

जिंदल ने कहा कि इस भाषण का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मामलों में अमेरिका की भूमिका के बारे में उनकी सोच, मौजूद खतरों की प्रकृति और फ्रांस की हालिया त्रासद घटनाओं के बारे में स्पष्ट तौर पर अपनी बात रखना है। इस भाषण का उद्देश्य आगे के रास्ते के बारे में उनकी सोच जाहिर करना भी है।

जिंदल ने कहा, अमेरिका और हर वह देश, जो अपनी स्वतंत्रता का संरक्षण करना और उसे हर जगह प्रोत्साहन देना चाहता है, उसके लिए सबसे पहला कदम एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाना है। जब 19वीं सदी के अंत में अमेरिका एक बड़ी आर्थिक शक्ति बना, तब उसके पास एक बड़ी सैन्य शक्ति बनने और मुक्त विश्व में एक नेता बनने के साधन थे।

गवर्नर ने कहा कि अमेरिकी विदेश नीति का पहला सिद्धांत हमेशा स्वतंत्रता और हमारी जनता के लिए अनवरत स्वतंत्रता होनी चाहिए, फिर चाहे उनकी नस्ल, संप्रदाय, धर्म, मूल या फिर इंसानों द्वारा एक को दूसरे से अलग करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य कत्रिम विभाजक कोई भी क्यों न हों।

उन्होंने कहा, अमेरिका को हमेशा दुनियाभर में स्वतंत्रता की मशाल बनना चाहिए। मैं यह नहीं कह सकता कि पूरा विश्व कभी स्वतंत्र होगा लेकिन मैं इस बात के पूरी तरह खिलाफ हूं कि दुनियाभर में सभी लोगों के बीच स्वतंत्र होने का अधिकार एवं इच्छा होने की बात को हम त्याग दें।