बीते कुछ सालों से अनिल अंबानी कर्ज के जाल से निकलना चाहते हैं। यही वजह है कि अनिल अंबानी ने कई कंपनियों की या तो संपत्ति बेच दी या फिर हिस्सेदारी को दूसरे के हवाले कर दिया। इसी में से एक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर-इंफ्रा) का सीमेंट कारोबार (आरसीसीपीएल) था। इस कारोबार को अनिल अंबानी की कंपनी ने बिड़ला कॉरपोरेशन को बेच दिया। हालांकि, इस सौदे की वजह से करीब दो दशक से चल आ रहा बिड़ला परिवार का विवाद एक बार फिर कोर्ट पहुंच गया।
क्या है बिड़ला परिवार का विवाद: दरअसल, बिड़ला परिवार का विवाद लोढ़ा समूह से है। इस विवाद की शुरुआत साल 2004 में हुई थी। इस साल बिड़ला परिवार की मुखिया प्रियंवदा देवी बिड़ला के निधन के बाद वसीयत को सार्वजनिक किया गया। इस वसीयत में मालूम हुआ कि प्रियंवदा बिड़ला ने 5,000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेंद्र लोढ़ा के नाम कर दिया है। इससे बिड़ला परिवार समेत भारतीय कॉर्पोरेट जगत सन्न रह गया था। इसके बाद मामला कोलकाता हाईकोर्ट में पहुंच गया।
इस बीच, साल 2016 में हर्ष वर्धन लोढ़ा की अगुवाई में बिड़ला सीमेंट कॉरपोरेशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रा के सीमेंट कारोबार के लिए डील की। इस डील के तहत अनिल अंबानी की कंपनी ने करीब 4,800 करोड़ रुपये में सीमेंट कारोबार को बेच दिया। कंपनी ने बताया था कि सौदे से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में किया जाएगा।
बिक रही हैं संपत्तियां: आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों में रिलायंस इंफ्रा की कई संपत्तियां बिक चुकी हैं। बीते जनवरी महीने में ही 900 करोड़ रुपये में रिलायंस इंफ्रा ने पारबती कोलडैम ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड में अपनी समूची 74 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री का सौदा पूरा किया।(ये पढ़ें-मुकेश अंबानी से ज्यादा है इन दो भाइयों की सैलरी, रिलायंस में मिली है बड़ी जिम्मेदारी)
इसी तरह, रिलायंस इंफ्रा ने दिल्ली-आगरा (डीए) टोल रोड क्यूब हाइवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को 3,600 करोड़ रुपये में बेचने की भी प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसके अलावा रिलायंस इंफ्रा ने मुंबई स्थित रिलायंस सेंटर को बेचने का ऐलान किया है। इसे यस बैंक को 1,200 करोड़ रुपये में बेची है। (ये पढ़ें-अडानी संभाल रहे हैं अंबानी का कारोबार)