सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक फैसला सुनाया, जिसका असर अनिल अंबानी समेत अन्य कर्ज में डूबी कंपनियां या कारोबारियों पर पड़ने वाला है।

क्या है कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस नोटिफिकेशन की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें बैंकों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत कर्ज वसूली के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी। इस नोटिफिकेशन को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी किया गया था। इसका मकसद गारंटर को भी घेरना था। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने भी गारंटर पर फोकस किया है।

कोर्ट का कहना है कि सिर्फ दिवालिया समाधान योजना शुरू होने से पर्सनल गारंटर की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है। (ये पढ़ें-जब जेपी ग्रुप से अचानक टूट गई अनिल अंबानी के कंपनी की डील, बताई थी ये वजह)

इस फैसले के मायने: कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंक अब उन कंपनियों के प्रमोटरों के खिलाफ पर्सनल बैंकरप्सी का केस दायर कर सकते हैं जिनकी कंपनियां कर्ज समाधान के लिए एनसीएलटी (NCLT) को भेजी गई हैं। बैंकों ने पिछले साल रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी, दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्प लिमिटेड के कपिल वधावन और भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड के संजय सिंघल के खिलाफ बैंकरप्सी केस फाइल किया था।

ऊपरी अदालतों में अपील के बाद इस मामले में किसी तरह का एक्शन नहीं हो सका लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन कारोबारियों की टेंशन बढ़ सकती है। इस फैसले से प्रभावित होने वाले कारोबारियों के दायरे में अनिल अंबानी के अलावा कपिल वधावन और संजय सिंघल भी आएंगे। (ये पढ़ें-मुकेश अंबानी से ज्यादा है इन दो भाइयों की सैलरी, रिलायंस में मिली है बड़ी जिम्मेदारी)

इस कानून के तहत बैंकों को डिफॉल्टिंग कंपनियों और उनके लोन के लिए गारंटी देने वाले लोगों के खिलाफ भी बैंकरप्सी फाइल करने की अनुमति मिली हुई है। इसका मतलब ये हुआ कि अनिल अंबानी के खिलाफ भी मामला चल सकेगा। आपको यहां बता दें कि कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की कई कंपनियां बिक्री प्रक्रिया से गुजर रही हैं।

अनिल अंबानी की जो कंपनियां या संपत्ति बिक्री की प्रक्रिया से गुजर रही हैं उनमें रिलायंस कैपिटल, रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस कम्युनिकेशंस शामिल हैं। हालांकि, अनिल अंबानी संपत्ति बिक्री कर लगातार कर्ज करने में जुटे हैं।