banks deposit growth are slowing: क्या आपको पता है कि बैंकिंग सेक्टर में आखिर क्यों पिछले कुछ महीनों में धीमी ग्रोथ हो रही है? जी हां, पिछले कुछ महीनों में बैंकों में क्रेडिट की तुलना में डिपॉजिट कम हुआ है यानी सरल शब्दों में समझें तो लोगों ने बैंकों से उधार तो लिया लेकिन अपनी बचत यानी पैसा जमा नहीं किया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, जून 2024 में खत्म हुई तिमाही में डिपॉजिट जहां 11.7 फीसदी बढ़े वहीं बैंक क्रेडिट में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
डिपॉजिट यानी जिसे ग्राहक बैंक अकाउंट में रखते हैं और उन्हें उस पर ब्याज मिलता है। वहीं क्रेडिट यानी बैंक ग्राहकों को यह रकम उधार के तौर पर देता है और उससे ब्याज वसूलता है। डिपॉजिट और क्रेडिट में पिछले कुछ महीनों में गैप आया है। इस बढ़ते फर्क ने सरकार और आरबीआई को चिंतित कर दिया है। दोनों ने बैंकों से इनोवेटिव प्रोडक्ट्स के जरिए डिपॉजिट पर फोकस करने को कहा है। आपको बताते हैं कि आखिर डिपॉजिट और क्रेडिट के बीच यह गैप क्यों ज्यादा हो रहा है और बैंक इन्हें सुलझाने के लिए क्या कर रहे हैं।
कमजोर डिपॉजिट ग्रोथ
जून 2024 में खत्म हुई तिमाही में बैंक का डिपॉजिट 11.7 प्रतिशत था। 1 जुलाई 2023 को HDFC Bank के साथ HDFC Ltd के मर्जर के बाद यह टोटल रकम थी। HDFC के इस मर्जर का असर यह हुआ कि जून 204 में डिपॉजिट ग्रोथ 12.2 फीसदी तक बढ़ गया।
वहीं दूसरी तरफ, जून 2024 में खत्म हुई तिमाही में दोनों के मर्जर के बाद बैंक क्रेडिट ग्रोथ 15 फीसदी रहा। यह आंकड़ा हाई क्रेडिट-डिपॉजिट गैप को दिखाता है।
9 अगस्त को अनुमानित लेटेस्ट आरबीआई डेटा से पता चलता है कि बैंक क्रेडिट ग्रोथ ने लगातार डिपॉजिट ग्रोथ को पीछे रखा है और इसमें 14 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि डिपॉजिट ग्रोथ सिर्फ 11 फीसदी बढ़ी।
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कैपिटल मार्केट एक्टिविटी का क्या रोल?
बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ कम होने का एक सबसे बड़ा कारण है लोगों द्वारा अपनी बचत को बैंकों की जगह कैपिटल मार्केट में निवेश करना।
कोविड-19 महामारी के बाद भारतीय कैपिटल मार्केट ने डायरेक्ट (Direct Trading) और इनडायरेक्ट (म्यूचुअल फंड रूट) चैनल के जरिए रिटेल एक्टिविटी में बड़ा इजाफा दर्ज किया है। हाई रिटर्न, बेहतर डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए अब निवेश करना बेहद आसान हो गया है। हर हाथ में स्मार्टफोन आने से अब ज्यादा रिटेल इन्वेस्टर्स खुद कैपिटल मार्केट में एंट्री कर रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में भारतीय लोगों ने अपनी घरेलू बचत को कैपिटल मार्केट में इन्वेस्ट किया है। Economic Survey 2023-24 के मुताबिक, National Securities Depository Ltd (NSDL) और Central Depository Services Ltd (CDSL) में डीमैट अकाउंट की संख्या वित्तीय वर्ष 2024 में बढ़कर 15.14 करोड़ पहुंच गई। जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 11.45 करोड़ था।
रिटेल निवेशक अब इनडायरेक्ट चैनल यानी म्यूचुअल फंड्स के जरिए बेहतर रिटर्न पा रहे हैं। 31 जुलाई 2024 को म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का नेट AuM (assets under management) 6.23 फीसदी बढ़कर 64.97 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। म्यूचुअल फंड्स सेगमेंट में फिलहाल 9.33 करोड़ सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) अकाउंट्स हैं जिनके जरिए निवेशक नियमित तौर पर स्कीम्स में निवेश करते हैं।
कम होते डिपॉजिट पर चिंता
जुलाई 2024 में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि जो घर और ग्राहक जो परंपरागत तौर पर अपने पैसे को रखने या निवेश करने के लिए बैंकों पर निर्भर रहे हैं, अब वे तेजी से अपनी बचत को कैपिटल मार्केट या दूसरे वित्तीय मध्यस्थ के जरिए निवेश कर रहे हैं।
दास ने कहा, ‘आम लोगों की बचत को रखने के मामले में बैंक डिपॉजिट का हिस्सा अभी भी सबसे ज्यादा है, लेकिन अब यह दबदबा कम हो रहा है क्योंकि परिवार अपनी बचत को म्यूचुअल फंड, बीमा फंड और पेंशन फंड में तेजी से आवंटित कर रहे हैं।’
आरबीआई गवर्नर ने बैंकों से ज्यादा से ज्यादा पैसे जुटाने के लिए अपने ब्रांच नेटवर्क का फायदा उठाने और नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स लाने पर जोर दिया।
बता दें कि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि बैंकों को पुराने तरीके अपनाने और छोटे डिपॉजिट पर ध्यान देने की जरूरत है। सिर्फ बड़े डिपॉजिट को पर ध्यान देने से लगातार कम हो रहा डिपॉजिट ग्रोथ रेट नहीं बढ़ेगा।
डिपॉजिट बढ़ाने के लिए बैंकों का प्रयास
डिपॉजिट ग्रोथ कम होने के साथ ही बैंक स्पेशल डिपॉजिट स्कीम्स और दूसरे इनोवेटिव प्लान के जरिए फंड मोबिलाइज़ करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सिस्टम में क्रेडिट डिमांड को पूरा किया जा सके।
कुछ समय पहले ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, आरबीएल बैंक और बंधन बैंक ने अपनी स्पेशल रिटेल डिपॉजिट स्कीम्स भी लॉन्च की हैं।
एसबीआई ने ‘अमृत वृष्टि’ स्कीम लॉन्च की जिमें 444 दिनों के डिपॉजट पर 7.25 प्रतिशत ब्याज ऑफर किया जा रहा है। वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘मॉनसून धमाका’ डिपॉजिट स्कीम पेश की जिसमें 399 दिनों के लिए FD करने पर 7.25 प्रतिशत और 333 दिनों के लिए 7.15 प्रतिशत ब्याज दर ऑफर की जा रही है।