योग की बात होती है तो पतंजलि आयुर्वेद के फाउंडर रामदेव का जिक्र जरूर होता है। हालांकि, अब योगगुरु रामदेव की चर्चा योग की बजाए पतंजलि की वजह से ज्यादा होती है।
साल 2006 में बनी रामेदव की ये कंपनी अब मुनाफे में है। ये कंपनी अब कई हजार करोड़ रुपये का साम्राज्य बना चुकी है। कामयाबी की इस स्पीड के पीछे पतंजलि आयुर्वेद का विस्तार है। दरअसल, रामदेव ने भारत के अलग-अलग राज्यों में जमीन लेकर पतंजलि का विस्तार किया है। भारत के अलावा विदेशों में भी रामदेव ने जमीन खरीदी है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक स्कॉटलैंड में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के पास एक आईलैंड है। रिपोर्ट के मुताबिक लिटिल कंब्री आइलैंड को यूरोप में बाबा रामदेव के ट्रस्ट का कारोबार देख रहे सैम और सुनीता पोद्दार ने दान में दिया था। हालांकि, इस संपत्ति को लेकर विवाद भी हुआ और प्रवर्तन निदेशालय ने मामला दर्ज करके इस लेनदेन में विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के उल्लंघन की संभावना की जांच बैठा दी थी। लेकिन साल 2014 में रामदेव को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई। (ये पढ़ें—जब रामदेव और अडानी के बीच हुई टक्कर)
मुनाफे वाली कंपनी है पतंजलि: योगगुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद मुनाफे वाली कंपनी है। वित्त वर्ष 2019-20 में हरिद्वार की इस कंपनी का नेट प्रॉफिट 21 फीसदी बढ़कर 425 करोड़ रुपये रहा। वहीं, वित्त वर्ष 2018-19 में कुल मुनाफा 349 करोड़ रुपये रहा था। इस अवधि में पतंजलि का राजस्व भी करीब 6 फीसदी बढ़ गया था।
वहीं पतंजलि की कमाई तीन गुना बढ़कर 65.19 करोड़ रुपये हो गई। 2018-19 में यह केवल 18.89 करोड़ रुपये थी। (ये पढ़ें—रामदेव की कंपनी से 13 निवेशकों की शिकायत)
आईपीओ लाने की तैयारी: बीते दिनों मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि योगगुरु रामदेव की पतंजलि आईपीओ लेकर आ सकती है। इस आईपीओ के जरिए कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड हो जाएगी। अभी पतंजलि शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं है। अगर आईपीओ आता है तो इसमें आम लोग भी हिस्सेदारी खरीद सकेंगे।
बता दें कि जब एक कंपनी अपने समान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है, उसे आईपीओ कहते हैं। आमतौर पर किसी कंपनी को पैसे जुटाने होते हैं या फिर शेयर बाजार में लिस्टेड होना होता है तो उससे पहले आईपीओ लेकर आती हैं। इस आईपीओ में एक साधारण निवेशक भी निवेश कर सकता है। हालांकि, निवेश के लिए कुछ जरूरी शर्तें भी होती हैं।