आज प्रत्येक बैंक के परिसर और अन्य प्रमुख जगहों पर पैसा निकालने वाली मशीन यानी ऑटोमेटिड टैलर मशीन (ATM) दिखाई देती है। इस मशीन की मदद से कोई भी व्यक्ति कभी भी कार्ड का इस्तेमाल करके बैंक खाते से पैसा निकाल सकता है।
एटीएम का आविष्कार एड्रियन शेफर्ड बैरन ने 1965 में किया था। 1967 में लंदन के बार्कलेज बैंक में पहला एटीएम लगाया गया था। शेफर्ड बैरन का जन्म 1925 में मेघालय के एक अस्पताल में हुआ था। एटीएम का आविष्कार होने के 53 साल बाद अब इस अस्पताल में एटीएम लगा है। इस एटीएम को भारतीय स्टेट बैंक ने लगाया है। मेघालय के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, डॉ. एच गॉर्डन रॉबर्ट्स अस्पताल में एसबीआई ने 7 अगस्त को एटीएम लगाया है।
अगले साल 100 साल का हो जाएगा अस्पताल: अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. रोकेन नॉन्गरम ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि अगले साल यह अस्पताल 100 साल का हो जाएगा। इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए हमने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से अस्पताल परिसर में एटीएम लगाने आग्रह किया था। बैंक ने हमारे आग्रह को मानते हुए अस्पताल परिसर में एटीएम लगा दिया है। यह अस्पताल मेघालय के शिलॉन्ग में स्थित है।
मरीजों और अस्पताल स्टाफ को सुविधा मिलेगी: नॉन्गरम ने कहा कि इस एटीएम के लगाए जाने से मरीजों और अस्पताल स्टाफ को काफी सुविधा होगी। उन्होंने एटीएम लगाने का आग्रह स्वीकार करने पर एसबीआई प्रबंधन का शुक्रिया भी अदा किया। नॉन्गरम ने कहा कि यह एटीएम इसलिए भी खास है कि इसके आविष्कारक का 96 साल पहले इसी अस्पताल में जन्म हुआ था। शेफर्ड बैरन की 2010 में स्कॉडलैंड के एक अस्पताल में निधन हो गया था।
ऐसे आया एटीएम का आइडिया?: एक बार शेफर्ड बैरन पैसे निकालने के लिए बैंक पहुंचे थे। लेकिन 1 मिनट की देरी के कारण बैंक बंद हो चुका था। इस कारण बैरन पैसा नहीं निकाल पाए थे। फिर उन्होंने सोचा कि जब एक मशीन से 24 घंटे चॉकलेट निकल सकते हैं तो पैसे क्यों नहीं निकल सकते। लोगों की सुविधा के लिए इसके बाद उन्होंने एटीएम का निर्माण किया।