कुछ साल पहले तक देश के टॉप अमीरों में शुमार अनिल अंबानी अब कर्ज के जाल में फंसे हुए हैं। अनिल अंबानी की कई ऐसी कंपनियां हैं जो या तो बिक्री की प्रक्रिया से गुजर रही हैं।
वहीं कुछ कंपनियों की संपत्ति बिक भी गई हैं। दरअसल, अनिल अंबानी इसके जरिए अपने कर्ज का बोझ कम करना चाहते हैं। बहरहाल, हम आपको अनिल अंबानी की एक ऐसी कंपनी के पतन की कहानी बताएंगे, जो टेलीकॉम सेक्टर में नंबर वन थी लेकिन आज बिक्री प्रक्रिया से गुजर रही है। इस कंपनी का नाम रिलायंस कम्युनिकेशंस (R-Com) है। कर्ज के बोझ तले दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस बंद होने के कगार पर पहुंच गई है।
जब कंपनी अपने पीक पर थी तो जनवरी 2008 के दौरान मार्केट कैप 1.66 लाख करोड़ के आस पास था। फिलहाल कारोबार में शेयर का भाव 2 रुपये से भी नीचे और मार्केट कैप घटकर 500 करोड़ से नीचे चला गया है। 11 जनवरी 2008 को एक शेयर का भाव 792 रुपये था, जो घटकर 2 रुपए के स्तर पर आ गया है।
क्यों आई गिरावटः जानकारों की मानें तो टेलीकॉम इंडस्ट्री में आरकॉम के पतन की सबसे बड़ी वजह अनिल अंबानी के बड़े भाई मुकेश अंबानी हैं। दरअसल, रिलायंस कम्युनिकेशंस दक्षिण अफ्रीका की कंपनी एमटीएन से डील करने वाली थी। हालांकि, इस डील पर मुकेश अंबानी ने अड़ंगा लगा दिया।
मुकेश अंबानी का तर्क था कि अपने भाई अनिल अंबानी की कंपनी के एक हिस्से को खरीदने का पहला अधिकार उन्हें है। मुकेश अंबानी के मुताबिक एक परिवारिक समझौते में उनके इस अधिकार का उल्लेख है। अगर अनिल अंबानी की ये डील सफल होती तो टेलीकॉम इंडस्ट्री में रिलायंस कम्युनिकेशंस आज लीडिंग कंपनी होती।
जियो फैक्टरः इसके अलावा मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो की टेलीकॉम इंडस्ट्री में एंट्री की वजह से भी अनिल अंबानी की रही सही कोशिश फेल हो गई। जियो ने ‘वेलकम ऑफर’ के तहत यूजर्स को फ्री इंटरनेट डेटा के साथ-साथ फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग और फ्री मैसेज की सुविधा दी। इसके बाद टेलीकॉम इंडस्ट्री की कई बड़ी कंपनियों को भी रेस में उतरना पड़ा। (ये पढ़ें-कर्ज देती थी अनिल अंबानी की ये दो कंपनियां, फिर कारोबार समेटने की आ गई नौबत)
वहीं, कुछ कंपनियों ने या तो कारोबार समेट लिया या फिर विलय कर लिया। साल 2017 में अनिल अंबानी ने कहा था कि टेलीकॉम सेक्टर पैसा पीने वाला कारोबार बन चुका है। यहां सिर्फ वही बने रह सकते हैं जिनकी जेबें भरी हों।