Amul Success Story, Amul Goden Jubliee: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार (22 फरवरी 2024) को गुजरात में 1200 करोड़ के पांच प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। देश के सबस बड़े डेयरी ब्रैंड अमूल (Amul) को चलाने वाली गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के 75 साल पूरा होने के मौके पर पीएम ने ब्रांड को बधाई दी। इसके साथ ही पीएम ने GCMMF को दुनिया की नंबर एक दुग्ध कंपनी बनाने का लक्ष्य भी दिया। ‘अटर्ली-बटर्ली’ बटर के साथ देश के लोगों को अमूल बटर (Amul Butter) का जायका देने वाली अमूल आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है।

AMUL के शुरुआत की कहानी

लेकिन क्या आपको पता है कि 1946 में जन्मा अमूल आखिर कैसे देश का नंबर 1 दुग्ध ब्रांड बन गया? आज हम आपको बताएंगे कि कैसे कुछ किसानों द्वारा शुरू की गई कंपनी Amul-Taste of India टैगलाइन के साथ घर-घर में मशहूर हो गई। चलिए करते हैं बात अमूल ब्रैंड के बारे में और बताते हैं कि इसकी सफलता की कहानी।

1940 के आसपास की बात है, उस जमाने में पॉलसन डेयरी (Polson Dairy) का दबदबा था। दूध, मक्खन, दही, घी सभी डेयरी प्रोडक्ट इसी कंपनी के होते थे। जो किसान दूध बेचते थे, यह कंपनी उनसे खरीदती थी। किसानों के पास कोई और विकल्प ना होने का फायदा पॉलसन ने उठाया और मनमानी कीमत पर दूध लेना जारी रखा। एक तरफ किसानों के हाथ मुनाफे के नाम पर खाली थे, वहीं पॉलसन डेयरी लगातार अमीर हो रही थी। लेकिन किसान परेशान थे। आखिरकार उनके सब्र का बांध टूटा और उन्होंने विद्रोह कर दिया। बस यहीं से शुरू हुई आज देश के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड अमूल के जन्म की कहानी।

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1946 में शुरू हुई यह कहानी उस वक्त की है जब गुजरात में गरीब और मेहनतकश किसानों को स्थानीय बिचौलियों द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा था। उनके बुरे और दमनकारी रवैये के चलते किसानों ने एक नया रास्ता चुनने की ठानी। इन किसानों का नेतृत्व त्रिभुवनदास पटेल और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। किसानों ने स्वतंत्र तौर पर काम करने और स्व-रोजगार के लिए अपने दोनों नेताओं की बात को ध्यान से सुना। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किसानों को बिचौलियों से छुटकारा पाने और अपना को-ऑपरेटिव बनाने यानी सहभागिता की सलाह दी ताकि वे प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और प्रोड्यूसिंग पर अपना कंट्रोल रख सकें।

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कैरा यूनियन लिमिटेड की शुरुआत

सरदार पटेल की प्रेरणा और मोरारजी देसाई व त्रिभुवनदास पटेल के नेतृत्व में 1946 में बन गई को-ऑपरेटिव सोसायटी। Kaira District Co-Operative Milk Producers Union Ltd. (कैरा यूनियन लिमिटेड) की शुरुआत सिर्फ दो गावों की डेयरी को-ऑपरेटिव सोसायटी के साथ हुई। आपको बता दें कि अमूल संस्कृत के शब्द अमूल्य से बना है और यह नाम संस्थापक नेताओं में से एक मगनभाई पटेल ने रखा था।

1950 में डॉक्टर वर्गीज कूरियन के नेतृत्व में इस को-ऑपरेटिव सोसायटी को नई ताकत मिली। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने देशभर में इसी अप्रोच को अपनाने का फैसला किया और यही नेशनल डेयरी डिवेलपमेंट पॉलिसी का आधार बनी। उन्होंने अमूल की सफलता और जरूरी फैक्टर्स को समझा।

इस सफर की शुरुआत में कुछ किसानों मिलकर 247 लीटर दुग्ध उत्पादन करते थे। और आज दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी मिल्ड प्रोड्यूसर अमूल के पास फिलहाल 16 मिलियन से ज्यादा दुग्ध उत्पादक हैं जो देश में 185903 डेयरी को-ऑपरेटिव सोसायटी में दूध की सप्लाई करते हैं।

1955 तक कैरा यूनियन के पास ही अमूल ब्रांड नेम था। लेकिन बाद में ब्रांड नेम को गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) को ट्रांसफर किया गया। और अब इस सहकारी संस्था के पास ही अमूल के प्रोडक्ट की मार्केटिंग का हक है।

बिचौलियों द्वारा किए जा रहे शोषण को खत्म करने के लिए कुछ किसानों ने मिलकर एक ऐसी कंपनी की शुरुआत की जो धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ी और देश का नंबर-1 ब्रांड बनी। अमूल ने गरीब किसानों की जिंदगी बदल दी और दुग्ध उत्पादन के तरीके को एक नए लेवल पर ले गई।

Anand Milk Union Ltd.- AMUL से जुड़े दिलचस्प फैक्ट
-अमूल की शुरुआत 1946 में गुजरात के आनंद से हुई थी।
-अमूल को गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) द्वारा संचालित किया जाता है जिसमें 3.6 मिलियन से ज्यादा गुजराती दुग्ध उत्पादक शामिल हैं।
-अमूल भारत में श्वेत क्रान्ति (White Revolution) लाया और देश का नंबर 1 दुग्ध उत्पादक बना
-Amul Corporation की स्थापना डॉक्टर वर्गीज कूरियन ने की थी। जिन्हें देश में श्वेत क्रान्ति का जनक भी कहा जाता है।
-देशभर में डेढ़ लाख से ज्यादा डेयरी के डेयरी को-ऑपरेटिव्स को पर 15 मिलियन से ज्यादा दुग्ध उत्पादकों द्वारा दूध डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है।
-अमूल अब 50 से ज्यादा देशों में अपना कारोबार करती है और अकेले भारत में 7000 से ज्यादा एक्सक्लूसिव अमूल स्टोर हैं।
-अमूल को सबसे लंबे एडवर्टाइजिंग कैंपेन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से सर्टिफिकेशन भी मिला है।

Amul Brand को पहचान किस-किससे मिली?

अमूल गर्ल: अमूल गर्ल वाले विज्ञापन के साथ कंपनी को घर-घर में पहचान मिली। इस ब्रांड ने काफी बढ़िया रणनीति अपनाई और लंबे समय तक चलने वाले कैंपेन में कार्टून के साथ अपने विज्ञापनों में कॉमेडी का तड़का लगाया। अमूल के ह्यूमरस एड कैंपेन लोगों ने काफी पसंद किए जाते हैं।

इनोवेशन: बात चाहें नए प्रोडक्ट लॉन्च की हो या क्रिएटिव मार्केटिंग एक्टिविटीज की या फिर ट्रेडिशनल सोशल ट्रेंड से जंग की। कंपनी लगातार नए इनोवेशन के साथ आती है। 1960 में अमूल दुनिया का पहला ऐसा ब्रांड था जिसने स्किम्ड मिल्ड पाउडर के लिए भैंस के दूध का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, अपने थ्री-टियर को-ऑपरेटिव स्ट्रक्चर के साथ अमूल ट्रेडिशनल ऑपरेशन से ज्यादा प्रॉफिट वाले स्ट्रक्चर की तरफ बड़ा।

पावरफुल ब्रांड: आमतौर पर हम विज्ञापनों में किसी एक खास प्रोडक्ट को देखते हैं। लेकिन अमूल का फोकस शुरुआत से ही ब्रांड नेम को पावरफुल करने का रहा। कंपनी Branded House Architecture को फॉलो करती है और अपने सभी प्रोडक्ट्स को Amul ब्रांड नेम के तहत ही प्रमोट करती है। कंपनी का फोकस किसी इंडिविजुअल प्रोडक्टस की जगह अपने पेरेंट ब्रांड पर रहता है जिससे ब्रांड अवेयरनेस होती है और मार्केटिंग व एडवर्टाइजिंग का खर्चा भी कम होता है।

सप्लाई चेन: अमूल थ्री-लेवल को-ऑपरेटिव स्ट्रक्चर फॉलो करता है। इसमें ग्रामीण स्तर पर डेयरी को-ऑपरेटिव सोसायटी, रीजनल डेयरी को-ऑपरेटिव और स्टेट-लेवल डेयरी एसोसिएशन शामिल हैं। ये तीनों एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं। यानी एक रूरल डेयरी प्रोडक्ट कंपनी को रीजनल डेयरी एसोसिएशन में एक्वायर किया गया और फिर इसे नेशनल डेयरी एसोसिएशन में बेच दिया गया।

प्रोडक्ट पोर्टफोलियो: बड़े प्रोडक्ट पोर्टफोलियो के साथ अमूल बाजार में सभी सेगमेंट की जरूरत को पूरा करता है। अमूल बटर, ब्रेड, चीज, पनीर, दूध के साथ बहुत सारे प्रोडक्ट अब कंपनी के पोर्टफोलियो में हैं और पिछले कुछ सालों में ग्राहकों के साथ अमूल ने मजबूत रिश्ता कायम किया है।