जल्द ही 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होने वाली है और इस बार नीलामी में स्पेक्ट्रम के लिए 4 कंपनियों ने अप्लाई किया है। वोडाफोन, जियो, अडानी और एयरटेल ने स्पेक्ट्रम के लिए अप्लाई किया है। जब अडानी ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए अप्लाई किया तो ऐसा माना जा रहा कि अब टेलिकॉम सेक्टर में अंबानी को अडानी से सीधी चुनौती मिलेगी। लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं होता दिखाई दे रहा है।
अरबपति मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस जियो ने 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए 14,000 करोड़ रुपये earnest money deposit (बयाना राशि) रखे, जबकि उसकी प्रतिद्वंद्वी गौतम अडानी के स्वामित्व वाली अडानी समूह ने 100 करोड़ रुपये रखे। Earnest money deposit (बयाना राशि) यह निर्धारित करता है कि सम्बंधित कंपनी नीलामी में कितने एयरवेव के लिए बोली लगा सकती है।
सुनील मित्तल की कम्पनी भारती एयरटेल ने बयाना राशि के रूप में 5500 करोड़ रुपये की राशि रखी, जबकि वोडाफोन ने 2200 करोड़ रुपये कि राशि रखी। Earnest money deposit (बयाना राशि) किसी कम्पनी की समझ, रणनीति और स्पेक्ट्रम खरीदने की योजना को प्रकट करती है। इसके अतिरिक्त यह उन योग्यता बिंदुओं को स्थापित करता है, जिनका उपयोग दूरसंचार कंपनियां अलग-अलग सर्किलों में विशेष मात्रा में स्पेक्ट्रम को खरीदने के लक्ष्य के लिए करती हैं।
Earnest money deposit (बयाना राशि) से साफ़ है कि अडानी ग्रुप अभी एंटरप्राइज टेलिकॉम तक ही सीमित रहेगा। यानी अंबानी के जियो को अभी टेलिकॉम सेक्टर में अडानी से सीधे चुनौती नहीं मिलेगी। अडानी ग्रुप ने अप्लाई करने के दौरान भी यह कहा था कि हम कस्टमर्स को सर्विस नहीं देने जा रहे हैं, बल्कि हमें अपने कारोबार के लिए 5G स्पेक्ट्रम चाहिए।
Earnest money deposit (बयाना जमा राशि) दर्शाता है कि सबसे बड़ी दूरसंचार फर्म जियो भविष्य की नीलामी में बहुत बड़ी बोली लगा सकती है। वहीं अडानी समूह एक निजी नेटवर्क स्थापित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम स्पेक्ट्रम खरीदने की कोशिश कर रहा है। अडानी डेटा नेटवर्क्स की Earnest money deposit 100 करोड़ है, जो उनकी ओर से स्पेक्ट्रम की मामूली और सीमित आवश्यकता को दर्शाता है।