अमेरिकी कंपनी अमेजन की भारतीय इकाई अमेजन सेलर सर्विसेज का घाटा वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 5,849.2 करोड़ रुपये पहुंच गया है।
ये घाटा ऐसे समय में हुआ है जब अमेजन ने मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल और किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप के बीच डील पर आपत्ति जताई है। दरअसल, मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल ने किशोर बियानी के फ्यूचर रिटेल का अधिग्रहण किया है। ये अधिग्रहण करीब 24 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें फ्यूचर ग्रुप अपना खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस इंडस्ट्री को सौंप देगी। अब इसी डील पर अमेजन को आपत्ति है।
अमेजन को क्यों आपत्ति: अमेजन का कहना है कि फ्यूचर रिटेल की प्रवर्तक कंपनी एफसीपीएल में 49 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। ऐसे में अमेजन को किसी भी तरह की नई डील के बारे में मंजूरी देने का भी अधिकार मिला था। सिंगापुर मध्यस्थता कोर्ट ने अमेजन के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग ने रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील को मंजूरी दे दी।
इसके बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट में मामला पहुंचा। दिल्ली हाईकोर्ट ने सेबी समेत अन्य रेग्युलेटर्स को इस विवाद पर निर्णय करने का आदेश दिया है। बहरहाल, रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की इस डील का कारोबारी तौर पर सबसे बड़ा खतरा अमेजन को होने की आशंका है। बता दें कि अमेजन के मालिक जेफ बेजोस हैं, जो वर्तमान में दुनिया के सबसे अमीर अरबपति हैं।
कितना घाटा बढ़ा: अमेजन इंडिया का वित्त वर्ष 2019-20 में घाटा 5,849.2 करोड़ रुपये था तो वहीं साल 2018-19 में 5,685.4 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। हालांकि, 2018-19 में रेवेन्यू में 43 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2020 में उसका रेवेन्यू वित्त वर्ष 2019 में 7593.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,847.6 करोड़ रुपये हो गया।