सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को नोटबंदी (demonetisation) पर सरकार के फैसले को बरकरार रखा और इसे सही ठहराया। करीब 6 साल पहले 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 1,000 रुपये और 500 रुपये के पुराने नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की थी। इसके प्रमुख उद्देश्यों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन के प्रवाह को रोकना भी शामिल था।

Currency in Circulation में 83 फीसदी की वृद्धि

हालांकि आंकड़ें बतातें हैं कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण का देश में चलन में मुद्रा (Currency in Circulation- CIC) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद से चलन में मुद्रा का प्रवाह 83 प्रतिशत बढ़ गया है।

विमुद्रीकरण (demonetisation) के तुरंत बाद CIC 6 जनवरी 2017 को लगभग 9 लाख करोड़ रुपये के निचले स्तर पर आ गया था, जो 4 नवंबर 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये का लगभग 50 प्रतिशत था। 6 जनवरी 2017 की तुलना में CIC में 3 गुना या लगभग 260 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखा गया है। 4 नवंबर 2016 से इसमें करीब 83 फीसदी की वृद्धि हुई है।

विमुद्रीकरण के कारण CIC में लगभग 8,99,700 करोड़ रुपये (6 जनवरी, 2017 तक) की गिरावट आई, जिसके कारण बैंकिंग प्रणाली के पास surplus liquidity में भारी वृद्धि हुई यह Cash Reserve Ratio में लगभग 9 प्रतिशत कटौती के बराबर थी।

31 मार्च 2022 के अंत में 31.33 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 23 दिसंबर 2022 के अंत में CIC बढ़कर 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गया। विमुद्रीकरण के बाद से CIC में वृद्धि देखी गई है। मार्च 2016 के अंत में CIC 20.18 प्रतिशत घटकर 13.10 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 31 मार्च 2015 के अंत में 16.42 लाख करोड़ रुपये था।

विमुद्रीकरण के अगले वर्ष में CIC 37.67 प्रतिशत बढ़कर 18.03 लाख करोड़ रुपये हो गया और मार्च 2019 के अंत में 17.03 प्रतिशत बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये और 2020 के अंत में 14.69 प्रतिशत बढ़कर 24.20 लाख करोड़ रुपये हो गया था।

नोटबंदी पर ‘सुप्रीम निर्णय’

सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर कहा कि फैसले लेने में उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। पांच जजों में से चार ने सरकार के फैसले को सही माना जबकि एक ने उनसे अलग राय व्यक्त की। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि आर्थिक नीति के मामलों में बहुत संयम बरतना होगा। न्यायालय अपने विवेक से कार्यपालिका के विवेक का स्थान नहीं ले सकता।