अडानी ग्रुप-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट ने गौतम अडानी को बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में SEBI की जांच को सही ठहराया है। उसने कहा है कि पूरे मामले की जांच के लिए सेबी ही उचित एजेंसी है। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की जांच में दखल देने से इनकार कर दिया है। सेबी ने इस मामले में 22 आरोपों की जांच की है। बाकी बचे 2 आरोपों को लिए कोर्ट ने 3 महीने का समय दिया है। सुबह 10.30 बजे कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। सेबी की ओर से अदालत में स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के बाद मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट ने क्या कहा

सेबी ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से सेबी की रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है जिससे इस मामले में किसी प्रकार का संदेह हो। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई ठोस आधार ना हो तब तक सेबी की रिपोर्ट पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सेबी ही इस मामले की सही जांच कर सकती है। उसने अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश कर दी है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बाजार नियामक SEBI की गतिविधियां संदिग्‍ध हैं, क्‍योंकि उनके पास 2014 से ही पूरी डिटेल है। हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

पिछले साल 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों को अडानी ग्रुप ने झूठा और मनगढंत बताया लेकिन इसके आने के बाद अडानी ग्रुप को बड़ा झटका लगा। अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर नीचे आ गए। विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर सरकार पर आरोप लगाया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी भी गठित कई गई थी।