राज्यसभा में गुरुवार को जदयू के एक सदस्य ने देश में कारपोरेट घरानों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पांच लाख करोड़ रुपए का कर्ज होने का दावा किया। उन्होंने खास तौर पर अदाणी समूह का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कंपनी पर ‘अकल्पनीय कृपा’ की गई तथा उस पर कर्ज 72,000 करोड़ रुपए है। शून्यकाल में जदयू के पवन वर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि क्या सार्वज्निक क्षेत्र के बैंकों को ऐसे लोगों को ऋण देने के लिए प्रभावित किया जा रहा है जो उनके कर्ज का भुगतान नहीं कर सकते हैं।
देश में कारपोरेट घरानों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पांच लाख करोड़ रुपए का ऋण है जिनमें से 1.4 लाख करोड़ रुपए का ऋण पांच कंपनियों पर है। पांच कंपनियों में लेंको, जीवीके, सुजलॉन एनर्जी, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और अदाणी ग्रुप एंड अदाणी पावर शामिल हैं। उन्होंने खबरों का हवाला देते हुए कहा कि अदाणी समूह कहलाने वाली कंपनी पर करीब 72 करोड़ रुपए का अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण है जो कि देश में सभी किसानों के कुल कर्ज के बराबर है।
उन्होंने कहा कि सदन में बुधवार को कहा गया था कि किसानों पर 72,000 करोड़ रुपए का फसल ऋण बकाया है जिसका उन्हें भुगतान करना है। जदयू सदस्य ने कहा ‘मुझे नहीं पता कि सरकार का इस कारोबारी घराने से क्या संबंध है। मैं यह भी नहीं जानता कि क्या वह एक दूसरे को जानते हैं लेकिन प्रधानमंत्री के प्रत्येक विदेशी दौरे में इस समूह के स्वामी (गौतम) अदाणी उनके साथ नजर आते हैं, चाहे वह चीन दौरा हो, या अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप या जापान का दौरा हो।’
वर्मा ने कहा कि कंपनी पर ‘अकल्पनीय कृपा’ हुई है। गुजरात में हाई कोर्ट की फटकार के बावजूद उसके सेज को मंजूरी दी गई। उप सभापति पीजे कुरियन ने वर्मा को आरोप लगाने पर चेताया। इस पर वर्मा ने कहा ‘मैं तथ्यपरक जानकारी दे रहा हूं। हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है। यह राज्य सरकार पर छोड़ा गया था। तत्कालीन संप्रग सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया था और जब यह सरकार सत्ता में आई तो उसने इसे मंजूरी दे दी।’ वर्मा ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि कंपनी इस राशि को अदा कर पाएगी या नहीं। पिछले दो तीन साल में कंपनी का मुनाफा 85 फीसद बढ़ा है। लेकिन आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तरोत्तर वित्तीय वर्षों में कंपनी के ऋण पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज में नाटकीय तरीके से कमी आई है।
जदयू के सदस्य वर्मा ने दावा किया कि विजय माल्या के मामले को जानते हुए भी भारतीय स्टेट बैंकने इस समूह को इस सरकार के सत्ता में आने के बाद करोड़ों डालर का ऋण दिया है। वर्मा ने चिंता जताते हुए कहा ‘मैं सरकार से जवाब चाहता हूं कि क्या उसे इसकी जानकारी है या नहीं। अगर उसे इसकी जानकारी है तो वह क्या कर रही है। एक कंपनी पर इतनी राशि बकाया है जितना देश में कुल किसानों पर बकाया है।’