नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि आधार कार्ड सरकारी वेलफेयर स्कीमों का “आधार (Bedrock)” बन गया है। इसकी मदद से सरकार को फेक और डुप्लीकेट लाभार्थियों की आसानी से पहचान करने में मदद मिली है, जिसके कारण सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए अधिक बचाने में सफलता प्राप्त हुई है।

देश की राजधानी दिल्ली में आधार कार्ड के उपयोग को आसान बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए कांत ने कहा कि आधार कार्ड आज सभी सरकारी वेलफेयर स्कीमों के लिए आधार बन गया है। इसकी मदद से बिना किसी बिचौलिये के आसानी से तेजी के साथ सीधे लाभार्थी के खाते में पैसा भेजा जा सकता है और बड़ी मात्रा में सरकारी राजस्व बचाने में मदद मिली है।

उन्होंने आगे कहा कि आधार कार्ड दुनिया में सबसे सफल बायोमेट्रिक बेस्ड आइडेंटिटी प्रोग्राम है। इसकी सफलता को देखते हुए वर्ल्ड बैंक (World Bank) और यूएन (United Nations) जैसी संस्थाएं दुनिया के इसे अन्य हिस्सों में लागू करने की चर्चा कर रही हैं।

कांत ने कहा कि यह बेहद सराहनीय है कि आज केंद्र सरकार की 315 और राज्य सरकारों की 500 से अधिक योजनाओं की डिलीवरी आधार कार्ड के डाटा के जरिए की जा रही है। आधार कार्ड सरकारी वेलफेयर  योजनाओं का आधार बन गया है। इसकी मदद से बिना किसी बिचौलियों के आसानी से योजना का लाभ सीधे लाभार्थी तक पहुंचा सकते हैं। आधार कार्ड की मदद से फेक और डुप्लीकेट लाभार्थियों की आसानी से पहचान करने में मदद मिली है, जिसके सरकार को 2.2 लाख करोड़ रुपए बचाने में मदद मिली है।

आधार कार्ड को लेकर जारी की एडवाइजरी वापस ली: पिछले शुक्रवार (27-मई-2022) को यूआईडीएआई की ओर आधार कार्ड धारकों को आधार की फोटोकॉपी शेयर न करने की सलाह दी गई थी, जिसे रविवार (29- मई-2021) को सरकार की ओर से वापस ले लिया गया था। सरकार ने कहा था कि आधार कार्ड बिल्कुल सुरक्षित है और कार्ड धारकों के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए सभी फीचर्स इसमें मौजूद हैं।