8th Pay Commission: मोदी सरकार ने इस वर्ष की शुरुआत में 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया था। वेतन आयोग के ऐलान के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही हैं कि नया वेतन आयोग 2.57 से 2.86 की लिमिट में फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश है। पिछला वेतन आयोग यानी 7वें वेतन आयोग ने 2.57 फिटमेंट फैक्टर अपनाया था। जिसके तहत न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये (2.57 गुना) हो गया।

विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि नेशनल काउंसिल जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC JCM) के कर्मचारियों ने 2.57 से ज्यादा फिटमेंट फैक्टर की मांग की है। जिसे 7वें वेतन आयोग ने तय किया था। इसी साल फरवरी 2025 में कर्मचारियों ने Terms of Reference (ToR) में शामिल होने के लिए 15 मांगें रखीं, जिन्हें 8वें वेतन आयोग के काम शुरू करने से पहले इस महीने लागू किए जाने की उम्मीद है।

8th Pay Commission: जानें सैलरी-पेंशन में कितना होगा इजाफा

स्टाफ साइड चाहता है कि वेतन आयोग इंडस्ट्रियल और नॉन-इंडस्ट्रियल कर्मचारियों, अखिल भारतीय सेवाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों, ग्रामीण डाक सेवकों और अन्य कैटेगिरी सहित केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट चेक और संशोधन करें।

कर्मचारी पक्ष ने यह भी सुझाव दिया है कि आयोग को 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और लाभों का निष्पक्ष और व्यापक संशोधन सुनिश्चित करना चाहिए। इसने कहा कि ToR को आधुनिक जीवन स्तर (Modern Living Standards) को रिफ्लेक्ट करने के लिए संशोधनों के साथ 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन (1957) की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण का सुझाव देने की जरुरत है।

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क्या सरकार मानेगी कर्मचारी संगठन की ?

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, इस बात की बहुत कम संभावना है कि नया वेतन आयोग कर्मचारी संगठन की मांगों को पूरी तरह से स्वीकार करेगा। यहां तक ​​कि पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का भी मानना ​​है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए 1.92 के फिटमेंट फैक्टर पर समझौता कर सकती है।

6वें और 7वें वेतन आयोग में क्या हुआ?

7वें वेतन आयोग में क्या हुआ?

जब वर्ष 2015 में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें आईं, तो कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की जोरदार मांग की थी। यह उस समय के न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से लगभग 3.7 गुना अधिक था।

कर्मचारी पक्ष ने कहा कि यह राशि 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों और आम कर्मचारियों की जरूरतों के आधार पर तय की गई थी। लेकिन आयोग ने इन मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया। इनकी गणना एक्रोयड फार्मूले के आधार पर की गई और 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन और 2.57 का फिटमेंट फैक्टर तय किया गया।

छठे वेतन आयोग का क्या हुआ?

इससे पहले जब छठा वेतन आयोग आया था, तब कर्मचारी पक्ष ने 10,000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग की थी। उनका तर्क था कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी इस वेतन पर काम कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों?

लेकिन आयोग ने इस मांग को तथ्यों से परे बताया और 5,479 रुपये न्यूनतम मूल वेतन की गणना की। हालांकि, बाद में इसे थोड़ा बढ़ाकर 6,600 रुपये और फिर 7,000 रुपये कर दिया गया।

अब क्या करें उम्मीद?

अब जबकि एक बार फिर महंगाई का बोझ आम कर्मचारियों की जेब पर भारी पड़ रहा है और घटती क्रय शक्ति (Purchasing Power) चिंता बढ़ा रही है, ऐसे में कर्मचारी पक्ष की मांग है कि कम से कम इस बार तो सरकार देश की मौजूदा आर्थिक हकीकत को देखते हुए वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी करें।

जहां पिछले दो वेतन आयोगों ने कर्मचारियों की उम्मीदों से कम सिफारिशें की थीं, वहीं इस बार केंद्र सरकार में कार्यरत कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों को उम्मीद है कि उन्हें कुछ राहत मिलेगी।