नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि भारत राजकोषीय सूझबूझ का रास्ता अपनाकर अगले दो-तीन साल में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकता है।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है कि केंद्र में सरकार बदलने के बावजूद यदि हम रास्ते पर मजबूती से बने रहें तो दो-तीन साल में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर फिर हासिल हो सकती है।’’ वित्त वर्ष 2013-14 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रही। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में हालांकि यह बढ़कर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गई।
चिदंबरम ने कहा कि यदि सरकार वित्तीय मोर्चे पर सावधानी से चलती है, बचत व निवेश को प्रोत्साहन देती और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समझदारी से करती है, तो 8 फीसद की वृद्धि दर फिर हासिल की जा सकती है। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से प्रभावित होने से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था 8 फीसद की दर से बढ़ रही थी।
उन्होंने कहा कि 8 फीसद की वृद्धि दर हासिल करने के लिए वित्तीय क्षेत्र सुधार बेहद जरूरी हैं। वित्तीय क्षेत्र कानूनी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) ने कई सिफारिशें की हैं जिनमें से कुछ में कानून में बदलाव की जरूरत होगी, कुछ में नहीं। जिन सिफारिशों में कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है उन्हें दो-तीन साल में लागू कर दिया जाना चाहिए।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि 8 फीसद की वृद्धि दर का वित्तपोषण घरेलू बचतों व कुछ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से किया जा सकता है।
चिदंबरम ने कहा कि मुद्रास्फीति पर अंकुश के लिए राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण जरूरी है। सरकार का चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.1 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है। 2013-14 में यह 4.5 प्रतिशत रहा था।
उन्होंने कहा कि 8 प्रतिशत की वृद्धि दर से एक करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के योजना आयोग को समाप्त करने के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि आयोग अभी क्षमता से अधिक समय तक काम कर चुका है।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि योजना आयोग को समाप्त करने का फैसला सही है। इसके स्थान पर बनने वाला निकाय छोटा होना चाहिए और इसमें 100 से अधिक लोग नहीं होने चाहिए।’’