कोरोना काल के बीच मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में 8.47 लाख लोग संगठित रोजगार से जुड़े हैं। आर्थिक सुस्ती और कोरोना लॉकडाउन के हालात के बीच यह आंकड़ा कुछ राहत देने वाला है। एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) के डाटा के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान 8.47 लाख सबस्क्राइबर बने हैं। आंकड़े के मुताबिक अप्रैल और मई में कारोबारी गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित थीं, लेकिन जून में तेजी से रिकवरी देखने को मिली है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी अप्रैल महीने में 20 हजार नए कर्मचारियों का ईपीएफओ में पंजीकरण हुआ था। इसके अलावा मई में यह आंकड़ा 1 लाख 72 हजार पहुंच गया था।

इसके बाद जून में लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद कर्मचारियों के जुड़ने की संख्या तेजी से बढ़ी थी। जून महीने में कुल 6 लाख 55 हजार नए सबस्क्राइबर ईपीएफओ का हिस्सा बने हैं। इस तरह देखें तो मई की तुलना में ईपीएफओ से नए कर्मचारियों के जुड़ने की संख्या में 64 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। इसके अलावा ईपीएफओ के सबस्क्राइबर्स के कम होने की संख्या में भी गिरावट आई है। मई के महीने में 4.45 लाख लोग ईपीएफओ के दायरे से बाहर हुए थे, जबकि जून में यह आंकड़ा 2.96 लाख हो गया।

कर्मचारियों का ईपीएफओ के दायरे से बाहर जाना और फिर वापस आना इस बात का संकेत है कि लोगों ने कोरोना काल में नौकरियां बदली हैं। वे ऐसे संस्थानों से गए थे, जो ईपीएफओ के तहत आते थे और ऐसी ही संस्थानों में दोबारा नौकरी कर रहे हैँ। ईपीएफओ में फंड ट्रांसफर के जरिए दोबारा जुड़ने वाले लोगों की संख्या मई के मुकाबले जून में 44 फीसदी बढ़ी है।

ईपीएफओ से जुड़ने का महिलाओं का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। जून में 1,06,059 महिलाएं ईपीएफओ से जुड़ीं। गौरतलब है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के चलते बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। हालांकि यह संकट संगठित क्षेत्र के मुकाबले असंगठित क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिला है।